लंपी स्किन डिजीज* *बीमार पशुओं को रखे अलग, कराए उपचार*

लंपी स्किन डिजीज* *बीमार पशुओं को रखे अलग, कराए उपचार*
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*लंपी स्किन डिजीज*
*बीमार पशुओं को रखे अलग, कराए उपचार*
अजमेर, 04 अगस्त। लंपी स्किन डिजीज से ग्रसित बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखकर उपचार करना चाहिए।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि गौवंश में लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप हो सकता है। इस प्रकार के पशुओं के शरीर पर दाने उभरना, बुखार आना, मुंह से लार टपकना, नाक से पानी बहना, दूध काम या नहीं देना आदि लक्षण दिखाई देते है। इस प्रकार के लक्षण वाले पशु को अन्यों से तुरंत अलग कर दें।इनका खाना पानी भी औरों से अलग करें । किसी भी सूरत में रोगी पशु स्वस्थ पशुओं के साथ नहीं हो। बीमार पशु को रोग के बाह्य लक्षणों के अनुरूप तुरंत चिकित्सा मुहैया करवाई जाए।
उन्होंने बताया कि पशुओं को दिए जाने वाले चारे की गुणवत्ता पर विशेष जोर दें। पशुओं को पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं उत्तम कोटि का आहार दें। पशुओं के रहने के स्थान पर किसी प्रकार की गंदगी, कीचड, गीलापन नहीं हो । पशुओं के बाड़े में दिन में दस बारह बार नीम का धुंआ करे और दिन में तीन बार नीम, गूगल और कपूर का धुंआ करें। पशुओं के बाड़े में प्रतिदिन फिनायल का छिड़काव करें । बीमार पशुओं के घावों को फिटकरी तथा लाल दवा से धोएं । पशु के घावों पर मक्खी-मच्छर को बैठने से रोके। पशुओं को चारे के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पूरक आहार अवश्य दें।उत्तम प्रतिरोधक क्षमता वाले पशु आठ-दस दिन में स्वस्थ हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार के लुभावने प्रचार से पशुपालकों को बचना चाहिए। अपना श्रम व धन ऎसे विज्ञापनों की भेंट नहीं चढ़ाएं । अफवाहें फैलाने वालों से बचें । यदि रोगी पशु काल कवलित हो जाता है तो उसे तुरंत प्रभाव से जमीन में गहरे गाड़ने का प्रयास करें। इससे बीमारी के फैलाव पर अंकुश लगाया जा सकेगा। समय समय पर पशुओं की डी वामिर्ंग का ख्याल रखें। उनको पशु चिकित्सक द्वारा प्रस्तावित मिनरल्स, विटामिन, टीके एवं आवश्यक दवाइयों की खुराक अवश्य दें


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