इंडियन डेयरी एसोसिएशन की प्रथम बैठक में विभिन्न मुद्दों पर हुआ विचार विमर्श पराली जलाने पर लगाई जाए पाबंदी,यह भूमि व वातावरण के लिए हानिकारक |

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पशुओं की तंदुरुस्ती व दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए तैयार करें साइलेज आहार -चौधरी 

 

इंडियन डेयरी एसोसिएशन की प्रथम बैठक में विभिन्न मुद्दों पर हुआ विचार विमर्श पराली जलाने पर लगाई जाए पाबंदी,यह भूमि व वातावरण के लिए हानिकारक|

अजमेर। अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने नई दिल्ली में आयोजित इंडियन डेयरी एसोसिएशन( आईडीए) की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी की प्रथम बैठक में शिरकत कर पशुपालकों व पशुओं के हित में अनेक मुद्दे उठाए, जिस पर सदस्यों ने सर्वसम्मति प्रकट की है। अमूल डेयरी व आईडीए के अध्यक्ष आर.एस सोढ़ी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने प्रदेश व देश में बारह महीने पशुओं के लिए हरे चारे के विकल्प के रूप में साइलेज पशु आहार तैयार करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर उपस्थित सदस्यों ने सहमति प्रकट की साथ ही केंद्र सरकार के पास यह प्रस्ताव भेजने का भी मसौदा तैयार किया है । चौधरी ने कहा कि खेतों में गेहूं आदि फसलों का कुछ भाग मशीन से काटकर एक तिहाई से अधिक भाग (पराली) को खेत मे ही जलाने से एक तरफ भूमि की उर्वरक क्षमता कम होती हैं वही दूसरी तरफ प्रदूषण बढ़ रहा है। इस पर भी रोक लगनी चाहिए। बैठक में यह निर्धारित किया गया कि जिला एवं प्रदेश स्तर पर किसानों व पशुपालकों को साइलेज तैयार करने का तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा । वर्तमान में अनेक जगह साइलेज तैयार किया जा रहा है ,जिससे पशु पालकों एवं किसानों के पास पशुओं के लिए बारह महीने हरे चारे का विकल्प उपलब्ध हो जाता है। साइलेज से दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा में भी बढ़ोतरी होती हैं। साइलेज मैं बरसीम, नेपियर घास, जई, मक्का, बाजरा, लोबिया, उड़द और मूंग की फसलों के भाग का इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य रूप से अक्टूबर माह में इन फसलों को टुकड़ो में काटकर इसका गड्डे( साइलोपिट) में भंडारण किया जाता है। इसको साइलोपिट में वायु रहित कर दबाया जाता है। तीन महीने बाद इसका उपयोग आसानी से कर सकते हैं । इस प्रकार साइलेज निर्माण से सर्दी, गर्मी, बारिश तीनों ही ऋतुओं में पशुओं को विकल्प के रूप में हरा चारा उपलब्ध हो सकता है।

वर्तमान में चारा पंद्रह से दो हजार के भाव बिक रहा है, जो पशुपालकों व किसानों के लिए खरीदना मुश्किल होता है।

 

छाछ व दही के बाद अब दूध पर भी लग सकता है जीएसटी-

बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा की गई की गई कि घी व अन्य उत्पाद पर पहले से ही जीएसटी लागू था लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने छाछ व दही पर भी जीएसटी लागू कर दिया जिससे आमजन भी छाछ व दही का उपयोग इस महंगाई में नहीं कर पा रहा है। बैठक में सदस्यों ने इस बात की भी आशंका व्यक्त की है कि आने वाले दिनों में दूध पर भी जीएसटी लगाया जा सकता है । दूध हर वर्ग प्राथमिक की आवश्यकता है,ऐसे में यह निर्णय किया गया कि दूध पर जीएसटी का कोई प्रस्ताव न हो तथा दूध के साथ ही अन्य उत्पादों पर भी जीएसटी को हटाने की केंद्र सरकार से गुहार की जाएगी। दुग्ध उत्पादो से जीएसटी हटाने पर भी चर्चा की गई। क्योंकि महंगाई की मार में जीएसटी से पशुपालकों को उनके दूध का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आई दुगुनी करने की बात कही और इसके साथ ही जीएसटी लागू हो जाने से नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही हैं।

 

नस्ल बढ़ोतरी व सुधार पर भी हुई चर्चा -बैठक में गायों की नस्ल में बढ़ोतरी इसके सुधार में भी चर्चा हुई है। लंबी डिजीज के बाद गायों की मृत्यु दर की संख्या बढ़ी हैं जिससे दूध में भी कमी आई हैं। इस कमी की पूर्ति के लिए नस्ल सुधार के लिए भी प्रयास किए जाएंगे ताकि जल्द ही पूर्व की स्थिति में जाया जा सके।

 

वार्षिक साधारण सभा 28 नवंबर को -इंडियन डेयरी एसोसिएशन की साधारण सभा आगामी 22 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी ,इसमें बैठक में लिए गए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

इस अवसर पर आईडीए चेयरमैन और अमूल एमडी श्री आरएस सोढ़ी, श्री अरूण पाटिल, श्री एके मेहता, श्रीमति गीता पटेल, श्री चेतन नर्के,श्री जीएस राजोरिया, श्रीमति बिमलेश मान आदि आईडीए ke गणमान्य सदस्य उपस्तिथ रहे ||

विजय कुमार पाराशर

आवाज राजस्थान की

9414302519


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