सरपंचों की कार्यकाल पर असमंजस, कांग्रेस-भाजपा में टकराव, वन नेशन वन इलेक्शन पर बढ़ सकती है कानूनी जंग
जयपुर | राज्य सरकार के वन स्टेट वन इलेक्शन की घोषणा के चलते सरपंच अपने कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव को लेकर आशंकित बने हुए हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कार्यकाल को लेकर हुए बिखराव पर भाजपा ने भी अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला है। राज्य सरकार ने विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित कर लागू भी किया तो एक साथ चुनाव कराने में प्रशासक लगाना भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। सही रास्ता नहीं निकालने पर कानूनी पेचीदगी के चलते यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में परिसीमन प्रक्रिया के चलते सरपंचों के अलग अलग समय
चुनाव हुए थे। उसी के चलते जनवरी माह में 6759 ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके अलावा मार्च 2025 में 704 और सितंबर 2025 में 3847 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होगा। हालांकि 73 और 74 वें संविधान संशोधन के प्रावधानों के मुताबिक ग्राम पंचायतों का चुनाव हर पांच साल में कराना जरूरी है। ऐसे में सरकार को चुनाव टाले जाने के विशेष कारण भी बताने होंगे। राज्य सरकार ने वन स्टेट वन इलेक्शन से पहले नए जिलों की समीक्षा शुरू कर रखी है। नए जिलों पर फैसले के बाद ही ग्राम पंचायतों, पंचायतों और जिला परिषदों का पुनर्गठन होगा। ऐसे में सरकार तब तक चुनाव टाल सकती है।
सरपंचोंने एमपी मॉडल अपनाने की मांग उठाई
और पढ़े : पहले भी लग चुके हैं प्रशासक ऐसा पहली बार नहीं होगा।
सरपंच संघ राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन देकर मध्यप्रदेश मॉडल की तर्ज पर सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग रखी है। जिसमें प्रशासक की जगह एक संचालन कमेटी बनाकर सरपंचों और वार्ड पंचों को उसमें सदस्य बनाया जाए। दिलावर ने इस मॉडल का परीक्षण कराने की बात कही थी। सरपंचों के अलावा अगले साल पंचायतों और जिला परिषदों का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। नवंबर 2025 में 21 जिला परिषद और 222 पंचायत समिति,
अगस्त 2026 में छह जिला परिषद और 78 पंचायत
समिति, अक्टूबर 2026 में दो जिला परिषद, 22 पंचायत समिति और नवंबर 2026 में चार जिला परिषद और 30 पंचायत समितियों का कार्यकाल पूरा हो रहा है।