बेर के पौधों पर छाछ्या, पत्ती धब्बा, फलसड़न व काली फफूंदी आदि रोगों का प्रकोप पाया जाता हैं। वर्तमान में बेर के फलों पर छाछ्या रोग का प्रकोप होने से छोटे फलों पर सफेद चूर्णनुमा धब्बे बन जाते हैं और धीरे-धीरे पूरे फल पर फैल जाते हैं। ऐसे फल

बेर के पौधों पर छाछ्या, पत्ती धब्बा, फलसड़न व काली फफूंदी आदि रोगों का प्रकोप पाया जाता हैं। वर्तमान में बेर के फलों पर छाछ्या रोग का प्रकोप होने से छोटे फलों पर सफेद चूर्णनुमा धब्बे बन जाते हैं और धीरे-धीरे पूरे फल पर फैल जाते हैं। ऐसे फल
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बेर में फफूंदनाषी का छिड़काव कर फलों को छाछ्या रोग से बचाए
अजमेर, 27 नवम्बर। तबीजी फार्म, अजमेर स्थित ग्राहृय परीक्षण केन्द्र के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि बेर के पौधों पर छाछ्या, पत्ती धब्बा, फलसड़न व काली फफूंदी आदि रोगों का प्रकोप पाया जाता हैं। वर्तमान में बेर के फलों पर छाछ्या रोग का प्रकोप होने से छोटे फलों पर सफेद चूर्णनुमा धब्बे बन जाते हैं और धीरे-धीरे पूरे फल पर फैल जाते हैं। ऐसे फल पकने से पूर्व ही गिर जाते हैं या सिकुड़ कर कठोर हो जाते हैं। इस रोग से बचाव हेतु पौधों पर माइक्लो ब्यूटानिल 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी कवकनाशी का आधा ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें एवं छिड़काव करते समय पूरे कपड़े, चश्मा, मास्क व दस्तानों का उपयोग अवश्य करें।

admin - awaz rajasthan ki

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