केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने तबीजी (अजमेर) में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र के रजत जयंती समारोह में किया पोषण वाटिका और कृषि प्रदर्शनी का अनावरण

25 वर्षों से बीजीय मसालों के अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है संस्थान : भागीरथ चौधरी
अजमेर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री तथा अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र, तबीजी (अजमेर) के रजत जयंती स्थापना उत्सव और किसान मेले में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने संस्थान परिसर में रजत जयंती स्तंभ और पोषण वाटिका का अनावरण किया और मेला परिसर में लगी खेती-किसानी से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में उपस्थित किसानों, वैज्ञानिकों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से संवाद करते हुए उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की।

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि यह संस्थान पिछले 25 वर्षों से बीजीय मसालों के अनुसंधान, उन्नत तकनीकों के विकास और किसानों के हित में कार्य करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। संस्थान का कार्य भारतीय कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए महत्वपूर्ण है। किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में ऐसे संस्थानों की भूमिका अत्यंत सराहनीय है। केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने संस्थान के वैज्ञानिकों और किसानों को उनके सतत प्रयासों के लिए बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि यह संस्थान आगामी वर्षों में भी नई ऊंचाइयों को छूते हुए किसानों के कल्याण में अपनी भूमिका निभाता रहेगा।

उपस्थित रहे कृषि वैज्ञानिक और हजारों किसान : कार्यक्रम में डेयर सचिव एवं आईसीएआर महानिदेशक हिमांशु पाठक, आईसीएआर बागवानी विज्ञान के उप महानिदेशक संजय कुमार सिंह, पद्म भूषण से सम्मानित आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र सिंह परोदा, सहायक महानिदेशक (पुष्प, सजीव, मसाले और औषधीय पौधे) सुधाकर पांडे, संस्थान के निदेशक विनय भारद्वाज, एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलपति बलराज सिंह, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर की कुलपति अजित कुमार कर्नाटक, अटारी (जोधपुर) के निदेशक जे.पी. मिश्रा, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर के निदेशक अरुण कुमार तोमर, सीआरआईजेडएफ, बीकानेर के निदेशक जयदीप यादव, आईसीएआर मुख्यालय के प्रधान वैज्ञानिक विक्रमादित्य पांडे, संस्थापक निदेशक एस.के. त्रिपाठी और पूर्व निदेशक एम.एम. अनवर सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, अधिकारी, जनप्रतिनिधि और हजारों किसान उपस्थित रहे।