केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह निर्विरोध राज्यसभा सांसद बने: कांग्रेस ने नहीं उतारा था उम्मीदवार
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू राजस्थान से राज्यसभा के सांसद निर्वाचित हो गए हैं। इस उपचुनाव में उन्हें निर्विरोध चुना गया, क्योंकि भाजपा ने उन्हें राजस्थान से प्रत्याशी बनाया था और कांग्रेस ने अपना कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था। रवनीत सिंह बिट्टू, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं, और उनके राज्यसभा सदस्य बनने की संभावना पहले से ही तय मानी जा रही थी।
राजस्थान में वोटों के गणित के हिसाब से, भाजपा के पास बहुमत था, जिसके कारण कांग्रेस ने अपनी हार निश्चित मानते हुए किसी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा। नामांकन वापसी के अंतिम दिन पर, चुनाव अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा ने रवनीत सिंह बिट्टू को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया और उनके अधिकृत प्रतिनिधि योगेंद्र सिंह तंवर को निर्वाचन का प्रमाण पत्र सौंपा।
चुनाव प्रक्रिया और नामांकन पत्रों की स्थिति
राज्यसभा चुनाव के लिए तीन नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा, इसलिए भाजपा के डमी प्रत्याशी सुनील कोठारी और निर्दलीय उम्मीदवार बबीता वाधवानी के नामांकन पत्र दाखिल किए गए। बाद में सुनील कोठारी ने अपना नामांकन वापस ले लिया, और बबीता वाधवानी का नामांकन रद्द कर दिया गया, जिससे बिट्टू ही मैदान में बचे थे।
विधानसभा में मतों का गणित
राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव विधायकों द्वारा होता है, और जीतने के लिए 98 वोटों की आवश्यकता थी। राज्यसभा चुनाव के फार्मूले के अनुसार, 1 सीट के लिए 98 वोट चाहिए थे। भाजपा के पास 114 विधायक थे, जबकि कांग्रेस के पास केवल 66 विधायक थे, जिससे भाजपा की जीत सुनिश्चित थी।
बिट्टू की प्रतिक्रिया
नामांकन भरने के बाद, रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि राजस्थान का यह कर्ज मेरे ऊपर रहेगा और मैं राजस्थान और पंजाब की पगड़ी पर कोई दाग नहीं लगने दूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान से दूसरी पार्टियों द्वारा उम्मीदवार न खड़ा करना भाजपा की बड़ी जीत है।
लोकसभा चुनाव में मिली हार
रवनीत सिंह बिट्टू, जो कि लुधियाना से 2 बार सांसद रह चुके हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा में शामिल होने के बाद, उन्हें लुधियाना से टिकट दिया गया, लेकिन उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से 20,942 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद, भाजपा ने उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया और राज्यसभा में सांसद के रूप में उनकी नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना गया।