दही छाछ व लस्सी पर जीएसटी, पशुपालकों पर दोहरी मार- चौधरी

दही छाछ व लस्सी पर जीएसटी, पशुपालकों पर दोहरी मार- चौधरी
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अब दही छाछ व लस्सी पर जीएसटी, पशुपालकों पर दोहरी मार- चौधरी

**थोथी

अब दही छाछ व लस्सी पर जीएसटी, पशुपालकों पर दोहरी मार- चौधरी

**थोथी साबित हुई केंद्र सरकार की तीन वर्ष पूर्व की गई घोषणाएं

**घी, बटर, फ्लेवर्ड मिल्क व आइसक्रीम पर पहले से ही लागू जीएसटी

अजमेर । अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि केंद्र की भाजपानीत सरकार द्वारा सोमवार से दही छाछ और लस्सी पर लागू जीएसटी से पशुपालकों व दुधियो के लिए दोहरी मार साबित होगी। चौधरी ने 18 जुलाई से दही छाछ और लस्सी पर केंद्र सरकार के पांच फीसदी जीएसटी लगाने के तुगलकी आदेश का विरोध करते हुए कहा कि छाछ गरीब का निवाला है, इस पर महंगाई बढ़ाना उनका हक मारना है। चौधरी ने कहा कि उपभोक्ताओं का सरस डेयरी के प्रति सदैव सहयोग रहा है, लेकिन केंद्र सरकार की हठधर्मिता के कारण मजबूरी वश उपभोक्ताओं के लिए दही छाछ व लस्सी के भाव में लागू जीएसटी के अनुपात में ही राशि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। केंद्र की भाजपानीत सरकार ने तीन वर्ष किसानों की आय दुगुनी करने का वादा किया था, जो महज मुंगेरीलाल के सपने के समान ही साबित हुआ है।
केंद्र सरकार ने पशुओं को एफएमडी मुक्त करने, पशु बीमा, सेक्स शॉर्टेड सीमन, पशुओं का टेगीकरण आदि अनेक घोषणाएं की गई जो आज भी पूर्णतया धरातल पर नहीं उतरी हैं।
आज पशुपालको व किसानों के सामने पशुआहार, चारे ,भूसे आदि आहार की बढ़ती कीमतों के कारण कोढ़ में खाज की हालत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों एवं पशुपालकों का मनोबल ना टूटे तथा उन पर अत्यधिक आर्थिक भार ना पड़े तथा दूध से आजीविका का संचालन भी हो सके, इसके लिए सरस डेयरी ने विगत 3 माह में 7 बार दूध की खरीद का मूल्य भी बढ़ाकर पशुपालकों को राहत प्रदान की हैं। वर्तमान में पशुपालकों को मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना राशि सहित 54 रुपये प्रति लीटर से दूध के भाव दिए जा रहे हैं। चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू होने के बाद सरस डेयरी ने छाछ पर 2 रुपए प्रति लीटर, दही पर 4 रुपए प्रति लीटर व लस्सी पर 5 प्रति लीटर की बढ़ोतरी मजबूरन की गई है । चौधरी ने बताया कि पूर्व में दुग्ध उत्पादों के तहत घी पर 5 फीसदी जीएसटी को बढ़ाकर 12 फ़ीसदी कर दी गई वहीं बटर पर भी 5 फ़ीसदी जीएसटी को बढ़ाकर 12 फीसदी एवं ice cream & flavored milk पर 18% करने से उपभोक्ताओं को भी महंगाई का सामना करना पड़ा हैं।
चौधरी ने कहा कि बढ़ी हुई व लागू जीएसटी का विरोध दर्ज कराने के लिए इसी माह जिला स्तर पर पशुपालकों में किसानों के साथ धरना प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करवाया जाएगा।

प्राइवेट डेरिया नहीं देती जीएसटी–
चौधरी ने कहा कि दुग्ध उत्पादों पर जो जीएसटी लागू है। सहकारी संस्थाएं उनका पूर्णतया पारदर्शिता के साथ पालन करती हैं, लेकिन प्राइवेट डेरिया दूध लेने में देने दोनों में बेईमानी करते हुए जीएसटी का भुगतान नहीं करती है।

पैकिंग पर जीएसटी ,डोरी की थेली पर नहीं —
चौधरी ने बताया कि प्राइवेट डेरिया प्लास्टिक की थैली में दूध उत्पाद दही,छाछ व लस्सी भरकर डोरी से उसकी पैकिंग करके दे देती हैं ,जिस पर कोई जीएसटी लागू नहीं होता है, जबकि सहकारी संस्था द्वारा टेट्रा पैक में उत्पाद पैक करवाए जाते हैं इसलिए इन पर जीएसटी का नियम लागू कर दिया जाता है।

जनप्रतिनिधि उठाई मांग–
चौधरी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और विशेष तौर से राजस्थान का अधिकांश किसान दुग्ध व्यवसाय पर निर्भर है। ऐसे में जनप्रतिनिधि सांसद व विधायक इस मामले में केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करवाएं ताकि किसानों व पशुपालकों को राहत मिल सके।
विजय कुमार पाराशर
आवाज राजस्थान की
9414302519

साबित हुई केंद्र सरकार की तीन वर्ष पूर्व की गई घोषणाएं

**घी, बटर, फ्लेवर्ड मिल्क व आइसक्रीम पर पहले से ही लागू जीएसटी

अजमेर । अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि केंद्र की भाजपानीत सरकार द्वारा सोमवार से दही छाछ और लस्सी पर लागू जीएसटी से पशुपालकों व दुधियो के लिए दोहरी मार साबित होगी। चौधरी ने 18 जुलाई से दही छाछ और लस्सी पर केंद्र सरकार के पांच फीसदी जीएसटी लगाने के तुगलकी आदेश का विरोध करते हुए कहा कि छाछ गरीब का निवाला है, इस पर महंगाई बढ़ाना उनका हक मारना है। चौधरी ने कहा कि उपभोक्ताओं का सरस डेयरी के प्रति सदैव सहयोग रहा है, लेकिन केंद्र सरकार की हठधर्मिता के कारण मजबूरी वश उपभोक्ताओं के लिए दही छाछ व लस्सी के भाव में लागू जीएसटी के अनुपात में ही राशि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। केंद्र की भाजपानीत सरकार ने तीन वर्ष किसानों की आय दुगुनी करने का वादा किया था, जो महज मुंगेरीलाल के सपने के समान ही साबित हुआ है।
केंद्र सरकार ने पशुओं को एफएमडी मुक्त करने, पशु बीमा, सेक्स शॉर्टेड सीमन, पशुओं का टेगीकरण आदि अनेक घोषणाएं की गई जो आज भी पूर्णतया धरातल पर नहीं उतरी हैं।
आज पशुपालको व किसानों के सामने पशुआहार, चारे ,भूसे आदि आहार की बढ़ती कीमतों के कारण कोढ़ में खाज की हालत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों एवं पशुपालकों का मनोबल ना टूटे तथा उन पर अत्यधिक आर्थिक भार ना पड़े तथा दूध से आजीविका का संचालन भी हो सके, इसके लिए सरस डेयरी ने विगत 3 माह में 7 बार दूध की खरीद का मूल्य भी बढ़ाकर पशुपालकों को राहत प्रदान की हैं। वर्तमान में पशुपालकों को मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना राशि सहित 54 रुपये प्रति लीटर से दूध के भाव दिए जा रहे हैं। चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू होने के बाद सरस डेयरी ने छाछ पर 2 रुपए प्रति लीटर, दही पर 4 रुपए प्रति लीटर व लस्सी पर 5 प्रति लीटर की बढ़ोतरी मजबूरन की गई है । चौधरी ने बताया कि पूर्व में दुग्ध उत्पादों के तहत घी पर 5 फीसदी जीएसटी को बढ़ाकर 12 फ़ीसदी कर दी गई वहीं बटर पर भी 5 फ़ीसदी जीएसटी को बढ़ाकर 12 फीसदी एवं ice cream & flavored milk पर 18% करने से उपभोक्ताओं को भी महंगाई का सामना करना पड़ा हैं।
चौधरी ने कहा कि बढ़ी हुई व लागू जीएसटी का विरोध दर्ज कराने के लिए इसी माह जिला स्तर पर पशुपालकों में किसानों के साथ धरना प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करवाया जाएगा।

प्राइवेट डेरिया नहीं देती जीएसटी–
चौधरी ने कहा कि दुग्ध उत्पादों पर जो जीएसटी लागू है। सहकारी संस्थाएं उनका पूर्णतया पारदर्शिता के साथ पालन करती हैं, लेकिन प्राइवेट डेरिया दूध लेने में देने दोनों में बेईमानी करते हुए जीएसटी का भुगतान नहीं करती है।

पैकिंग पर जीएसटी ,डोरी की थेली पर नहीं —
चौधरी ने बताया कि प्राइवेट डेरिया प्लास्टिक की थैली में दूध उत्पाद दही,छाछ व लस्सी भरकर डोरी से उसकी पैकिंग करके दे देती हैं ,जिस पर कोई जीएसटी लागू नहीं होता है, जबकि सहकारी संस्था द्वारा टेट्रा पैक में उत्पाद पैक करवाए जाते हैं इसलिए इन पर जीएसटी का नियम लागू कर दिया जाता है।

जनप्रतिनिधि उठाई मांग–
चौधरी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और विशेष तौर से राजस्थान का अधिकांश किसान दुग्ध व्यवसाय पर निर्भर है। ऐसे में जनप्रतिनिधि सांसद व विधायक इस मामले में केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करवाएं ताकि किसानों व पशुपालकों को राहत मिल सके।
विजय कुमार पाराशर
आवाज राजस्थान की
9414302519


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