कृष्ण जन्मोत्सव पर कृष्ण के तत्व रूप के दर्शन का दिया सन्देश* दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अजमेर पुष्कर रोड़ कर्णीका सदन में 21 से 27 जनवरी तक दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा

कृष्ण जन्मोत्सव पर कृष्ण के तत्व रूप के दर्शन का दिया सन्देश* दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अजमेर पुष्कर रोड़ कर्णीका सदन में 21 से 27 जनवरी तक दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा
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*कृष्ण जन्मोत्सव पर कृष्ण के तत्व रूप के दर्शन का दिया सन्देश*
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अजमेर पुष्कर रोड़ कर्णीका सदन में 21 से 27 जनवरी तक दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। कथा भारतीय परंपरा के अनुसार दीप प्रज्वलित के साथ किया गया जिसमें मुख्य अतिथि श्रीमान आर. के. दुबे जी C. A. ट्रैफिक अकाउंट, श्रीमन नारायण अरोड़ा जी, श्रीमान राजेंद्र प्रसाद मित्तल , श्रीमान अशोक जी टाक , श्रीमान दिलीप सिंह छाबड़ा , श्रीमान आनंद प्रकाश छाबड़ा, श्रीमान योगेश कुमार शर्मा जी एवं यजमान लोग उपस्थित रहे कथा के चतुर्थ दिवस विश्व विख्यात भागवताचार्या कथाव्यास साध्वी सुश्री स्वाति भारती जी ने कृष्ण जन्म का भावपूर्ण प्रस्तुतिकरणकिया किया।
प्रवक्ता अशोक टाक ने बताया धूम धाम से नंद उत्सव मनाया
हाथी गौड़ा पालकी जय नंद लाल की
आज पंडाल में नंद महोत्सव की धूम देखते ही बन रही थी। जिसमें सभी नर-नारी और बच्चों ने खूब आनन्द लिया। बहुत सारे बच्चे कृष्ण के सख्खा बनने की इच्छा से सज-धजकर पीले वस्त्र पहन कर इस उत्सव में शामिल हुए। नन्दोत्सव की छटा अद्भुत थी! ऐसा प्रतीत हा रहा था मानो समूचा पंडाल ही गोकुल बन गया हो एवं सभी नर-नारी गोकुलवासी! केवल ग्वाल-बालों के रूप में सजे बच्चों ने ही नहीं बल्कि सभी आगंतुकों ने भी श्री कृष्ण जन्म के अवसर पर खूब माखन मिश्री का प्रसाद पाया।
साध्वी जी ने उजागर किया कि –
प्रभु का अवतार धर्म की स्थापना के लिए, अधर्म का नाश करने के लिए, साधु-सज्जन पुरुषों का परित्राण करने के लिए और असुर, अधम, अभिमानी, दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश करने के लिए होता है।
साध्वी जी ने बताया कि धर्म कोई बाह्य वस्तु नहीं है। धर्म वह प्रक्रिया है जिससे परमात्मा को अपने अंतर्घट में ही जाना जाता है। स्वामी विवेकानन्द कहते हैं Religion is the realization of god अर्थात् परमात्मा का साक्षात्कार ही धर्म है। जब-जब मनुष्य ईश्वर भक्ति के सनातन पुरातन मार्ग को छोड़कर मनमाना आचरण करने लगता है तो इससे धर्म के संबंध में अनेक भ्रांतियाँ फैल जाती हैं। धर्म के नाम पर विद्वेष, लड़ाई-झगड़े, भेद-भाव, अनैतिक आचरण होने लगता है तब प्रभु अवतार लेकर इन बाह्य आडम्बरों से त्रस्त मानवता में ब्रह्मज्ञान के द्वारा प्रत्येक मनुष्य के अंदर वास्तविक धर्म की स्थापना करते हैं। कृष्ण का प्राकट्य कंवल मथुरा में ही नहीं हुआ, उनका प्राकट्य तो प्रत्येक मनुष्य के अंदर होता है, जब किसी तत्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष की कृपा से उसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार श्री कृष्ण के जन्म से पहले घोर अंधकार था, कारागार के ताले बंद थे, पहरेदार सजग थे, और
इस बंधन से छूटने का कोई रास्ता नहीं था। ठीक इसी प्रकार ईश्वर साक्षात्कार के आभाव में मनुष्य का जीवन घोर
अंधकारमय है। अपने कमाँ की काल कोठरी से निकलने का कोई उपाय उसके पास नहीं है। उसके विषय-विकार रूपी पहरेदार इतने सजग होकर पहरा देते रहते हैं और उसे कर्म बंधनों से बाहर नहीं निकलने देते। परन्तु जब किसी तत्वदर्शी महापुरुष की कृपा से परमात्मा का प्राकट्य मनुष्य हृदय में होता है, तो परमात्मा के दिव्य रूप ‘प्रकाश’ से समस्त अज्ञान रूपी अंधकार दूर हो जाते हैं। विषय-विकार रूपी पहरेदार सो जाते हैं, कर्म बंधनों के ताले खुल जाते हैं और मनुष्य की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। इसलिए ऐसे महापुरुष की शरण में जाकर हम भी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करें तभी हम श्री कृष्ण जन्म प्रसंग का वास्तविक लाभ उठा पाएंगे।
धन्यवाद !
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान [जयपुर -अजमेर शाखा]। 9636013408, 7976314400 अशोक टाक


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