महात्मा गाँधी नरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों से मिलने वाली शिकायतों तथा जनसुनवाई के दौरान मनरेगा की मिलने वाली समस्त शिकायतो की जांच जिला प्रशासन जिला परिषद में कार्यरत सहायक अभियंताओं से कराएगा।
मनरेगा कार्यों में शिकायतों की जांच अब एईएन स्तर से होगी
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महात्मा गाँधी नरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों से मिलने वाली शिकायतों तथा जनसुनवाई के दौरान मनरेगा की मिलने वाली समस्त शिकायतो की जांच जिला प्रशासन जिला परिषद में कार्यरत सहायक अभियंताओं से कराएगा।
इससे पूर्व जांच कनिष्ठ तकनीकी सहायक करते थे। पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास विभाग को राज्य के अधिकांश जिलों से मनरेगा कार्यों में अस्सी प्रतिशत से भी कम माप आने की ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं। इसको देखते हुए विभाग ने को व्यवस्थाओं में सुधार और कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए इस तरह की शिकायतों की मॉनिटरिंग करने के लिए कहा है। विभाग ने ऐसी शिकायतों वाले सभी कार्यों की जिला परिषद में नियुक्त सहायक अभियंताओं से जांच कराने और उसके पश्चात ही भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
ये रहेगी प्रक्रिया
जिन इलाकों में अस्सी प्रतिशत से कम माप आएगा, वहां कार्यरत कनिष्ठ तकनीकी सहायक संबंधित कार्यक्रम अधिकारी (पीओ) को इसकी जानकारी देगा तथा कार्यक्रम अधिकारी इन कार्यों की सूचना बीडीओ एवं तहसीलदार को देंगे। वे इन कार्यों की माप का जिला परिषद में नियुक्त सहायक अभियंताओं की ओर से दोबारा सत्यापन कराएंगे और उसके बाद ही श्रमिकों को भुगतान होगा। मनरेगा कार्यों में शिकायतों की जांच
जिला प्रशासन मनरेगा में कराए गए कामों की शिकायतों की जांच अब जिला परिषद में तैनात सहायक अभियंताओं से कराएगा। उल्लेखनीय
है कि इससे पूर्व जांच कनिष्ठ तकनीकी सहायक करते थे। पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास विभाग को राज्य के अधिकांश जिलों से मनरेगा कार्यों में अस्सी प्रतिशत से भी कम माप आने की ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं। इसको देखते हुए विभाग ने को व्यवस्थाओं में सुधार और कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए इस तरह की शिकायतों की मॉनिटरिंग करने के लिए कहा है। विभाग ने ऐसी शिकायतों वाले सभी कार्यों की जिला परिषद में नियुक्त सहायक अभियंताओं से जांच कराने और उसके पश्चात ही भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
ये रहेगी प्रक्रिया
जिन इलाकों में अस्सी प्रतिशत से कम माप आएगा, वहां कार्यरत कनिष्ठ तकनीकी सहायक संबंधित कार्यक्रम अधिकारी (पीओ) को इसकी जानकारी देगा तथा कार्यक्रम अधिकारी इन कार्यों की सूचना बीडीओ एवं तहसीलदार को देंगे। वे इन कार्यों की माप का जिला परिषद में नियुक्त सहायक अभियंताओं की ओर से दोबारा सत्यापन कराएंगे और उसके बाद ही श्रमिकों को भुगतान होगा।