राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कलाकार के साथ कई कलाकारों ने दिया धरना।

शाहपुरा के कलाकार भी उतरे जिला बनाने की मुहिम में।

शाहपुरा कला और संस्कृति का ऐतिहासिक केंद्र रहा है।

जिला रहता तो कला एवं संस्कृति के संवर्धन को बढ़ावा
मिलता।
शाहपुरा, 16 फरवरी। रविवार को पेन्टर एवं आर्टिस्ट एसोसिएशन शाहपुरा के कई कलाकारों ने राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त फड़ चित्रकार दुर्गेश कुमार जोशी के नेतृत्व में शाहपुरा जिला बचाओ आंदोलन में शरीक होते हुए जिला बचाने की मुहिम में सामने आए।
बालकृष्ण बीरा, केएल बारी, महावीर राणा, अभिषेक जोशी, विजय जोशी, राजेश, प्रदीप, प्रवीण जोशी, पेंटर देवीलाल कुम्हार, युसूफ पेंटर आदि कई चित्रकारों ने रैली के रूप में प्रदर्शन करते हुए उपखंड कार्यालय के बाहर 46 दिन से चल रहे धरना स्थल पहुंचे।

राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त फड़ चित्रकार दुर्गेश जोशी ने कहा कि शाहपुरा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कलात्मक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहा की ऐतिहासिक जड़ें रियासतकाल तक जाती हैं, यह क्षेत्र कलाकारों, चित्रकारों, संगीतकारों और शिल्पकारों का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। वर्तमान में शाहपुरा के कलाकार शाहपुरा जिला बचाओ आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं जो यह साबित करता है कि शाहपुरा की कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए हम सब पूरी तरह से समर्पित हैं।
चित्रकार केएल बारी ने कहा कि शाहपुरा में रियासतकाल के दौरान कला का विशेष रूप से संरक्षण किया जाता था। राजा उम्मेद सिंह, नाहर सिंह ने कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया और उन्हें अपनी कला को निखारने व प्रदर्शित करने का अवसर दिया।
पेंटर महावीर सेन राणा ने कहा कि रियासत के दौरान चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला, संगीत और नृत्य को राजाओं और दरबारियों का संरक्षण प्राप्त था और उन्हें अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए विभिन्न मंच उपलब्ध कराए। बालकृष्ण बीरा ने कहा कि शाहपुरा के ऐतिहासिक महलों, बारहट हवेली, चारभुजा मंदिर में, भित्ति चित्रों और नक्काशी के सुंदर उदाहरण मिलते हैं। ये चित्रकला न केवल धार्मिक महत्व की थीं बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं और लोक कथाओं को भी चित्रित करती थीं। फंड चित्रकार अभिषेक जोशी ने कहा कि शाहपुरा राजस्थान की प्रसिद्ध फड़ चित्रकला का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। फड़ चित्रकला राजस्थान की पारंपरिक चित्रकला शैली है, जिसमें धार्मिक, ऐतिहासिक और लोककथाओं को कपड़े पर चित्रित किया जाता है। यहा के कलाकारों ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसे क्षेत्र को जिले के रूप में बनाने के बजाय तोड़ना सरकार के लिए घातक सिद्ध होगा।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष दुर्गा लाल राजोरा संयोजक राम प्रसाद जाट अधिवक्ता त्रिलोक नौलखा महासचिव कमलेश मुंडिया आदि सदस्यों ने कहा की शाहपुरा जिला बनाए रहता तो कला एवं संस्कृति के संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन को नए अवसर प्राप्त हो सकते थे। इन कलाकारों को व स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार मिलता तथा शाहपुरा की ऐतिहासिक धरोहर को भी संरक्षित करने में मदद मिलती। इस मौके पर पेंटर ग्यारसी लाल कोली, भेरूलाल कुम्हार, भंवरलाल रेगर, शंभू लाल, कन्हैयालाल रेगर, रमेश रेगर, सलीम खान, लक्ष्मी नारायण सेन, शैतान रेगर, दीपक कोली, महावीर पेंटर, जगदीश पेंटर, राजेश पेंटर सहित कई कलाकार धरने पर बैठे।
मुंडेतिया ने बताया कि 17 फरवरी को अधिवक्ताओ के सहायक मुंशी रैली निकालकर धरने पर बैठेंगे।