संभाग की पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ षष्टम राज्य वित्त आयोग का संवाद जिला परिषद सभागार में आयोजित किया गया।
* *षष्टम राज्य वित्त आयोग* *
*सम्भाग स्तरीय संवाद बैठक आयोजित*
अजमेर, 4 मई। संभाग की पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ षष्टम राज्य वित्त आयोग का संवाद जिला परिषद सभागार में आयोजित किया गया।
राज्य सरकार द्वारा पंचायतराज संस्थाओं को दी जाने वाली अनुदान राशि के सम्बन्ध में सिफारिशों के बारे में राज्य वित्त आयोग षष्टम के अध्यक्ष श्री प्रद्युम्न सिंह तथा सदस्य सचिव श्री बन्ना लाल एवं सदस्य श्री लक्ष्मण सिंह और श्री अशोक लाहोटी द्वारा अजमेर संभाग के पंचायतीराज से सम्बन्धित जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया गया। जिला प्रमुख अजमेर श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा, टोंक श्रीमती सरोज बंसल, भीलवाड़ा श्रीमती वरसी देवी एवं नागौर श्री भागीरथ राम ने जिले में उपलब्ध बजट के सम्बन्ध में विचार रखे।
बैठक में वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री प्रद्युम्न सिंह ने कहा कि धरातल की वस्तु स्थिति एवं आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए राज्य वित्त आयोग द्वारा संभाग स्तर पर संवाद बैठकें आयोजित की जा रही है। अजमेर संभाग की अपेक्षाओं के सम्बन्ध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया गया। प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार आयोग द्वारा रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसकी सिफारिशें राज्य सरकार को भेजी जाएगी।
षष्टम वित्त आयोग के सदस्य श्री लक्ष्मण सिंह ने कहा कि स्थानीय निकाय स्वयं की आय पैदा करने के लिए नियमानुसार कार्यवाही कर सकते हैं। जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को पंचायतीराज से सम्बन्धित नियमों की जानकारी रखनी चाहिए। संस्थाओं को प्राप्त राशि का सदुपयोग सुनिश्चित किया जाए। पंचायत सहायकों की ड्यूटी ग्राम पंचायत में करने के सम्बन्ध में प्रस्ताव प्राप्त हुए है। साथ ही जनहित के कार्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि में वृद्धि करने पर भी विचार किया जाएगा।
आयोग के सदस्य श्री अशोक लाहोटी ने कहा कि इस प्रकार की संभाग स्तर की चर्चाएं सरकार एवं आमजन के मध्य सेतु का कार्य करेगी। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप राज्य वित्त आयोग की अनुदान राशि का सदुपयोग सुनिश्चित हो सकेगा। आमजन के दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाली मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने पर ध्यान देना चाहिए। जनप्रतिनिधि साधारण सभा में प्रस्ताव लेकर सरकार द्वारा अनुमत समस्त कार्य कर सकते है। स्थानीय निकायों को लैण्ड बैंक की दिशा में भी कार्य करना चाहिए।
संभागीय आयुक्त श्री बी.एल. मेहरा ने कहा कि पंचायतीराज को सशक्त बनाने के लिए प्रत्येक जनप्रतिनिधि एवं कार्मिक का यथोचित प्रशिक्षण आवश्यक है। पंचायतीराज अधिनियम की जानकारी प्रत्येक ग्रामीण को होनी चाहिए। इससे व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति सजग होंगे।
जिला कलक्टर श्री अंश दीप ने कहा कि जिले में गोचर भूमि पर बसी पुरानी आबादी को नियमित करने का कार्य प्रक्रियाधीन है। ग्राम पंचायत स्तर पर सचिव के साथ-साथ अभियंता की सेवाएं भी मिलनी चाहिए। इससे पंचायतीराज विभाग के कार्यों की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
अतिरिक्त संभागीय आयुक्त श्री गजेन्द्र सिंह राठौड़, मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री मुरारी लाल वर्मा एवं श्री हीरालाल मीणा ने भी वित्त आयोग के अनुदान के सम्बन्ध में सुझाव दिए। संभाग के विकास अधिकारियों, प्रधानों के साथ चर्चा की गई। इनमें ग्राम पंचायतों की निजी आय बढ़ाने पर जोर दिया गया। इस सम्बन्ध में किए गए नवाचारों के बारे में विचार व्यक्त किए गए। स्वच्छता, पेयजल एवं बिजली के बजट को बढ़ाने के बारे में एक राय बनी। यूआईटी की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र में भी रूरल इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बनाने की बात भी सामने आई।
बैठक में सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ घरों में भी टांके बनाने की अनुमति देने की बात कई गई। राज्यभर के समस्त अच्छे कार्यों को आपस में साझा करने की स्थाई व्यवस्था करने के बारे में कहा गया। वृक्षारोपण के साथ में ट्री गार्ड तथा बड़े पेड़ों की अनुमति मिलने से पौधों की सरवाईवल रेट बढ़ने का प्रस्ताव दिया गया।
विजय कुमार पाराशर
आवाज़ राजस्थान की
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