लू एवं तापघात से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने की आमजन से ऐहतियात बरतने की अपील जिला मजिस्ट्रेट ने आवश्यक तैयारियों के संबंध में दिए निर्देश

लू एवं तापघात से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने की आमजन से ऐहतियात बरतने की अपील जिला मजिस्ट्रेट ने आवश्यक तैयारियों के संबंध में दिए निर्देश
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लू एवं तापघात से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने की आमजन से ऐहतियात बरतने की अपील
जिला मजिस्ट्रेट ने आवश्यक तैयारियों के संबंध में दिए निर्देश

अजमेर, 7 मई। जिले में बढ़ रही गर्मी के चलते जिला प्रशासन ने आमजन से विशेष एहतियात बरतने की अपील की है। इन दिनों अत्यधिक गर्मी व लू-तापघात होने से आमजन चपेट में आ सकते हैं। खासकर हाइरिस्क वाले लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। वहीं गर्मी के मौसम में जिले के समस्त स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष व्यवस्था के जिला प्रशासन ने निर्देश दिए हैं।
जिला मजिस्ट्रेट डाॅ. भारती दीक्षित ने बताया कि आपदा प्रबंधन, सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग जयपुर से मिले निर्देशों की पालना में जिले में गर्मी के मौसम में वर्तमान में चल रही लू एवं तापघात के प्रभाव से निराश्रित, बेघर, बेसहारा एवं खुले आसमान के नीचे सोने वाले व्यक्तियों के बचाव के लिए स्थाई एवं अस्थाई रेन बसेरों की व्यवस्था करने, रेन बसेरों में दिन के समय विश्राम करने वाले व्यक्तियों को बिछाने के लिए दरियों की व्यवस्था करने, खुले आसमान के नीचे स्थानों पर रहने वालों को रेन बसेरों में स्थानान्तरण करने के लिए आवश्यक वाहन की व्यवस्था करने, लू एवं तापघात के प्रभाव से पीडित व्यक्ति के तत्काल उपचार की व्यवस्था करने, रेन बसेरों में विश्राम करने वाले परिवारों एवं व्यक्तियों को लू से बचाव के लिए पर्याप्त आवश्यक सुविधाएं तथा पर्याप्त ठंडे पेयजल, पर्याप्त आवश्यक जीवन रक्षक दवाइयों, ओआरएस घोल के पैकेट, स्वास्थ्य की जांच कर मौके पर ही जीवन रक्षक औषधियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने के संबंध में निर्देश दिए हैं।
उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट एवं पूर्वानुमान अनुसार आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करना एवं लू-ताप संबंधी रिपोर्ट एकत्रा करें तथा अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्यवाही पूर्ण करें। सभी अस्पतालों में रोगियों के उपचार के लिए अग्रिम रूप से इंतजाम, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, संस्थान में रोगी के उपचार के लिए आपातकालीन किट में ओआरएस, ड्रिपसेट, ब्लीचिंग पाउडर सहित अन्य आवश्यक दवाइयां रखने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने समस्त प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि गर्मी से होने वाली बीमारियां जैसे उल्टी, दस्त, पीलिया, आंत्रादोष एवं अन्य मौसमी बीमारियों के रोगियों की सतर्कता से निगरानी रखें। उपचार उपलब्ध करवाएं। प्रचार-प्रसार कर आमजन को गर्मी से बचाव के बारे में जानकारी दी जाए तथा रेपिडरिस्पांस टीम एवं नियंत्राण कक्ष स्थापित करें।
यह है लू एवं तापघात के लक्षण
शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू एवं तापघात से सिर का भारीपन व अत्यधिक सिरदर्द होने लगता है। इसके अलावा अधिक प्यास लगाना, शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी-मिचलाना, सिर चकराना एवं शरीर का तापमान बढना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना व बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि लक्षण आने लगते हैं। चिकित्सकीय दृष्टि से लू-तापघात के लक्षण, लवण व पानी की आवश्यकता व अनुपातविति के कारण होती है। ऐसे में रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढीले कर लेटा दिया जाए। रोगी को होश मे आने की दशा मे उसे ठण्डा पेय पदार्थ पिलाएं। इस सावधानी के बाद भी मरीज ठीक नहीं होता है, तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्थान ले जाया जाए।
जरूरी है सावधानी
जिला प्रशासन ने आमजन से भीषण गर्मी के चलते अहतियात बरतने की अपील की है। जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि जहां तक सम्भव हो धूप में न निकलें, धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। आमजन जब भी बाहर निकलें, छाता व पानी आदि की व्यवस्था अनुरूप घर से निकलें। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले एवं सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़ एवं गर्म घुटन भरे कमरों से बचें। बिना भोजन किए बाहर न निकलें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही जरूरी होने पर बाहर निकलें। रंगीन चश्में एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिएं एवं पेय पदार्थो जैसे निंबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें। लू तापघात से प्राय हाईरिस्क श्रेणी वाले लोग जैसे कि कुपोषित बच्चे, वृद्धजन, गर्भवती महिलाएं एवं शुगर, बीपी आदि के मरीज शीघ्र प्रभावित होते हैं। इन्हें बाहर न निकलने दें। इनका विशेष ध्यान रखें। स्वास्थ्य संबंधी जरूरत होने पर तत्काल 108 को काॅल करें। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं। नरेगा अथवा अन्य श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखा जावे। जिससे श्रमिक थोड़ी-थोड़ी देर में छायादार स्थानों पर विश्राम कर सकें।


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