शाहपुरा जिला बचाओ आंदोलन। धरने पर बैठे वृद्धजनों (पेंशनर्स) ने सरकार को ललकारा।



मुख्यमंत्री को दी नसीहत, कहा – भजन नहीं, शाहपुरा को पुनः जिला बनाए।
शाहपुरा, 25 फरवरी। शाहपुरा जिला बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में विगत 55 दिनों से अनवरत रूप से चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन के तहत मंगलवार को शाहपुरा क्षेत्र के कई वृद्धजनों यानी पेंशनर्स समाज के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए आंदोलन में शरीक हुए।
पेंशनर समाज शाहपुरा अध्यक्ष बालकृष्ण बीरा की अगुवाई में कई पेंशनर्स जो वयोवृद्ध होने के बावजूद भी रैली में शामिल होकर उपखंड कार्यालय के बाहर चलकर पहुंचे। सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। शाहपुरा को जिले का पुनः दर्जा दिलाने की मांग को लेकर लोगों ने उपखंड प्रशासन को राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया।
उपखंड कार्यालय के बाहर धरने पर बैठने से पूर्व पेंशनर्स को संघर्ष समिति संयोजक रामप्रसाद जाट, महासचिव कमलेश मुंडेतिया, रामेश्वर सोलंकी, संदीप जीनगर, संस्था उपाध्यक्ष गजेंद्र प्रताप सिंह राणावत आदि सदस्यों ने माला पहना कर स्वागत किया।
जिला खत्म करने से गुस्साए पेंशनर कृपाशंकर शर्मा, चांद खान, सुरेश मुंदडा, कन्हैयालाल आर्य, दुर्गालाल जोशी, मदनलाल छिपा, मदनलाल दीक्षित, कालूराम खटीक, रामस्वरूप खटीक, ओम प्रकाश लोहार, रतनलाल माली, मुमताज खान कायमखानी, सुंदरलाल कोली, तेजपाल सिंह चौहान, शहाबुद्दीन पठान, उस्मान गनी, रज्जाक मोहम्मद, मन हनीफ खान, अमीन खां, निर्मल पटवा, राजेंद्र पांडे आदि वृद्धजन सरकार पर बरसते हुए, सरकार को ललकारते हुए कहा कि देश के मात्र 2 प्रतिशत लोगों ने देश की आजादी के आंदोलन में कूद कर देश को आजाद करवाया तो हम पेंशनर्स जनता के साथ कंधा से कंधा मिलाकर पूरी सरकार बदल देंगे। वृद्धजनों द्वारा दिए जोशीले भाषणों को सुनने लोगों की भीड़ जमा होगई, दिए अनुभवी वक्तव्यों पर पेंशनरों ने भीड़ से बीच बीच में खूब तालियां बटोरी।
मंच से पेंशनरों ने अपने अपने अंदाज ने बोलते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल को हिदायत देते हुए यह भी कहा कि आप भजन नहीं, शाहपुरा को पुनः जिले के दर्जे से नहीं नवाजा तो आगे के परिणाम भुगतने को तैयार रहे। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन अधिवक्ताओं के नेतृत्व में चलने से वकील ही जीत दिलाएंगे। संस्था के मुंडेतिया ने बताया कि बुधवार को वार्ड नंबर 3 के वार्डवासी उपखंड कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर धरने पर बैठेंगे।

