तापघात से पशुओं को बचाने के लिए छाया में रखें, बाड़ों में पंखों की भी हो व्यवस्था पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को किया जागरूक

अजमेर |
पशुपालन विभाग ने जिले में ग्रीष्म ऋतु में पशुओं को तापघात से बचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। अधिकारियों ने पशु चिकित्सा कर्मियों को इस संबंध में गाइडलाइन जारी कर पशुपालकों को जागरुक करने के साथ विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही पशुपालकों की लापरवाही पशुओं पर भारी पड़ जाती है। जब देखरेख के अभाव में इनकी तापघात से मौत हो जाती है। बीते कुछ सालों में जिले में तापघात से पशुओं के मौत के आंकड़े में वृद्धि हुई है। यही कारण है कि विभाग इस मामले में गंभीरता बरत रहा है। इस बार अप्रैल में भीषण गर्मी पड़ रही है। इसी के मद्देनजर पशुओं को तापघात से बचाने के लिए विभाग ने गाइडलाइन जारी की है। विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया ने बताया कि तापघात से पशुओं की मृत्यु का मुख्य कारण पशुपालकों में जागरूकता की कमी है। इससे होने वाली पशुधन हानि को रोकने के लिए पशु चिकित्सा कर्मियों व पशुपालकों, गौशाला संचालकों आदि को विशेष निर्देश दिए गए हैं।
ये दिए निर्देश
- पशु चिकित्साकर्मी अपने-अपने क्षेत्रों में पशुपालको को पशुओं को छाया में रखने, सुबह-शाम पानी से नहलाने, बाड़े में पशुओं के लिए पंखे की व्यवस्था सहित अन्य बातों के लिए जागरूक करें। जिससे कि पशुओं को तापघात से बचाया जा सके। • तापघात के मामले सामने आने पर पशु चिकित्सक तुरंत पशुओं को चिकित्सा उपलब्ध कराएं। • गौशाला संचालक एवं डेयरी फार्मर, पशुपालक अपने पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ जल, चारा, भूसा, पानी एवं पशु आहार की समुचित व्यवस्था करें।
- गौशालाओं व डेयरी फार्मर के पशुपालकों द्वारा
संधारित नवजात, गर्भवती एवं असहाय गौवंश की विशेष देखभाल की जाए एवं आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सकीय उपचार की व्यवस्था हो। - गौशालाओं में संभावित आगजनी से गौवंश के बचाव के समुचित प्रबंध किए जाएं।
- मृत पशुओं के शवों का विस्तारण यथाशीघ्र वैज्ञानिक
विधि से सुरक्षित एवं सम्मानजनक ढंग से किया जाए। जिससे गर्मी के कारण शव का विघटन व होने पाए और बीमारी का खतरा उत्पन्न न हो।