घोषणाओं से आगे बढ़ें सरकारें: जल संकट से निपटने की ज़मीनी तैयारी जरूरी

घोषणाओं से आगे बढ़ें सरकारें: जल संकट से निपटने की ज़मीनी तैयारी जरूरी
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ARK NEWS | गर्मी के तेवर ज्यों-ज्यों बढ़ रहे हैं, राजस्थान के कई इलाकों में पेयजल संकट गहराने की आहट सुनाई देने लगी है। मुयमंत्री भजनलाल शर्मा ने पेयजल व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक में अफसरों को चेताया भी है कि गर्मी की वजह से लोगों को परेशान होना पड़ा तो उनकी खैर नहीं उमीद की जानी चाहिए कि सरकार समय रहते लोगों को पेयजल संकट का सामना नहीं करने देगी। मुयमंत्री ने नए हैण्डपप व नलकूप लगाने, पुराने हैण्डपप और नलकूपों की मरमत, पाइपलाइनों को दुरुस्त करने जैसे काम पूरे करने के लिए 15 मई से पहले का टारगेट भी दिया है। लेकिन अप्रेल में ही जलसंकट की जो खबरें आ रहीं हैं, उसे देखते हुए लगता है कि ये काम और जल्दी करने होंगे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जलदाय विभाग अभी से कई प्रमुख शहरों की जलापूर्ति में कटौती करने लगा है। ग्रामीण इलाकों में जलस्रोत सूखने लग गए हैं। आने वाले दो माह में भीषण गर्मी रही तो आसन्न जलसंकट से निपटना जलदाय विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी। देखा जाए तो विभिन्न पेयजल योजनाओं के समय से पूरा नहीं हो पाना भी इस संकट को और बढ़ा रहा है। सरकार ने जो पेयजल योजनाएं शुरू की, उनके विस्तार के चरण अधूरे पड़े हैं। बीसलपुर परियोजना से अब जयपुर के रामगढ़ बांध को जोड़ने की योजना की भी चर्चा हो रही है। लेकिन हालात यह है कि अजमेर में बीसलपुर परियोजना का द्वितीय चरण वर्ष 2021 में ही पूरा हो गया, पर चार साल बीतने के बावजूद तीसरे चरण का काम शुरू नहीं हो पाया।
देखा जाए तो शहरों की आबादी विस्तार के साथ पेयजल योजनाओं का विस्तार करने की दिशा में ठोस प्रयास कभी हो ही नहीं पाए। सरकार बजट में घोषणाएं तो करती हैं, मगर उन्हें डीपीआर बनाने के बाद धरातल पर आने में सालों लग जाते हैं। जयपुर के बाद प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर में अप्रेल माह में ही 350 कॉलोनियों में पानी की त्राहि-त्राहि मची है। पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए जिोदारों को कम से कम आगामी दस वर्ष की योजना बनाकर काम करना चाहिए। अनुमानित आबादी के हिसाब पेयजल स्टोरेज टैंक, उच्च जलाशयों की जरूरत आदि पर प्लान बनाने की जरूरत है। समुचित तैयारी के अभाव में हर साल पानी की टैंकरों से सप्लाई, व आपात योजना बनाने की नौबत आ जाती है। जलसंकट की बड़ी वजह परपरात जलस्रोतों की अनदेखी करना भी रहा है। समय रहते ठोस जलप्रबंधन करना ही होगा।

admin - awaz rajasthan ki

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