पंचयातराज मे जब सरपंचो को प्रशासक बना सकते है तो प्रधानो को क्यो नही ?जिले के प्रधानो ने विधायक व सासंद से मुलाक़ात कर कहा हमारे साथ न हो भेद भाव, मांगा समर्थन
*पंचयातराज मे जब सरपंचो को प्रशासक बना सकते है तो प्रधानो को क्यो नही ?
जिले के प्रधानो ने विधायक व सासंद से मुलाक़ात कर कहा हमारे साथ न हो भेद भाव, मांगा समर्थन
अजमेर// जिले की विभिन्न पंचायत समितियों के प्रधानो ने आज एक जुट होकर जिले के सासंद व विधायकों से समर्थन मांगते हुए कार्यकाल समाप्ति पर सरपंचो की तरह उन को भी प्रशासक बनाए जाने की मांग रखी प्रधानो ने विधायको से कहा की उन की मांग को मुख्यमंत्री तक पहुचाते हुए प्रधानो को भी कार्यकाल खत्म होने पर सरपंचो की तरह प्रशासक के आदेश जारी करवाये जाए उन्होंने कहा की जब सरकार सरपंचो को प्रशासक बना सकती है तो प्रधानों को क्यो नही बनाया जा सकता ? प्रधानो ने कहा हमारे साथ भेद भाव न हो ईस लिए पुर्व मे ही विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक यह बात पहुचाने हेतु आज सभी विधायको व सासंदो से मुलाक़ात की गयी प्रधानो ने बताया की
राजस्थान में पंचायतराज अधिनियम 1994 एवं राजस्थान पंचायतीराज नियम 1996 द्वारा पंचायत राज की त्रीस्तरीय व्यवस्था ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद् पंचायतराज संस्थायें संचालित होती हैं। जिसमें से राजस्थान की कुछ ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका हैं। जहाँ पर पंचायत राज के चुनाव अपरिहार्य कारणों से नहीं होने पर राजस्थान सरकार ने राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 (1994) का अधिनियम संख्या 13) की धारा 95 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है वहा निवर्तमान सरंपचों को प्रशासक एवं निवर्तमान वार्डपंचों को प्रशासकीय समिति के सदस्य नियुक्त किया गया हैं। आगामी कुछ दिनों में कुछ पंचायत समितियों एवं जिला परिषद् का भी कार्यकाल समाप्त होने वाला हैं। एसे मे
जिस तरह ग्राम पंचायतों के निवर्तमान सरपंचों का प्रशासक एवं निर्वतमान वार्डपंचों को प्रशासकीय समिति में सदस्य नियुक्त किया गया है। उसी प्रकार समानता व न्याय के सिद्धान्त को अपनाते हुए पंचायत समितियों में भी प्रधानों को प्रशासक एवं पंचायत समिति सदस्यों को प्रशासकीय समिति के सदस्य नियुक्त किया जावें। क्योंकि जिस पंचायत राज अधिनियम 1994 एवं राजस्थान पंचायत राज नियम 1996 द्वारा ग्राम पंचायतें संचालित होती है। उसी पंचायत राज अधिनियम 1994 एवं राजस्थान पंचायत राज नियम 1996 द्वारा पंचायत समिति भी संचालित होती हैं।
पंचायत राज व नगर पालिका अधिनियम अलग अलग है एसे मे पंचायत राज के जिस नियम के तहत सरपंचो को प्रशासक बनाया गया है उसी नियम से प्रधानो को भी प्रशासक बनाया जाना चाहिए प्रधानो ने मुख्यमंत्री से भी मुलाक़ात का समय मांगा है!