शौर्य और स्वाभिमान का प्रतीक: नसीराबाद में साढ़े 12 फीट ऊंची महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा का लोकार्पण

शौर्य और स्वाभिमान का प्रतीक: नसीराबाद में साढ़े 12 फीट ऊंची महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा का लोकार्पण
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नसीराबाद (अनिल लोहरे )। राजस्थान की सैन्य नगरी नसीराबाद में गुरुवार को राष्ट्र भक्ति के नारों की गूंज के बीच इतिहास के महान योद्धा महाराणा प्रताप की साढ़े 12 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का लोकार्पण किया गया। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय और छावनी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में फ्राम जी चौक स्थित सर्किल पर यह प्रतिमा स्थापित की गई है।

🇮🇳 केंद्रीय मंत्री ने किया प्रतिमा का अनावरण

प्रतिमा का अनावरण केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक रामस्वरूप लांबा, राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चन्द पुष्करणा, सेना के स्थानीय कमांडर ब्रिगेडियर हरीश कुमार, और मुख्य अधिशासी अधिकारी डॉ. नीतीश गुप्ता सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

  • कलाकार: इस भव्य प्रतिमा का निर्माण जयपुर निवासी महावीर भारती ने किया है, जिन्होंने देश भर में महाराणा प्रताप की कई प्रतिमाएं बनाई हैं।
  • गौरव का क्षण: लोकार्पण के दौरान उपस्थित नर-नारियों ने पुष्प वर्षा की और राष्ट्र भक्ति के नारे लगाए। मंच पर अतिथियों का अपर्णा ओढ़ाकर और राणा प्रताप की छोटी प्रतिमा रूपी स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया।

🌟 नसीराबाद बना पर्यटन स्थल

मुख्य अतिथि भागीरथ चौधरी ने इस अवसर पर नसीराबाद के स्वर्णिम अतीत का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित होने से नसीराबाद अब पर्यटन स्थल बन गया है।

भागीरथ चौधरी ने कहा: “भारत वर्ष के इतिहास में शौर्य, राष्ट्र भक्ति और स्वाभिमान का पर्याय माने जाने वाले प्रखर राष्ट्रवादी सनातनी योद्धा महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाए जाने से इस नगरी का मान बढ़ गया है, जो सभी के लिए गर्व की बात है।”

💬 शौर्य गाथा और समानता

समारोह के मुख्य वक्ता हनुमान सिंह राठौड़ ने अपने ओजस्वी भाषण में महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज के बीच की समानताओं को रेखांकित किया:

  1. माता की भूमिका: दोनों ही योद्धाओं के जीवन में उनकी माताओं – शिवाजी की माता जीजा बाई और महाराणा प्रताप की माता जयवंती – की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने बचपन से ही उन्हें राष्ट्र भक्ति और स्वाभिमान की शिक्षा दी।
  2. सिसोदिया वंश: दोनों ही योद्धाओं का जन्म सिसोदिया वंश में हुआ था, जिसका संबंध राजस्थान से है।
  3. त्याग की भावना: उन्होंने राजपूत समाज की महिलाओं के करवा चौथ व्रत न रखने और गाड़िया लोहार समाज द्वारा अभी भी घर न बनाकर रहने की प्रतिज्ञा को याद किया, जो महाराणा प्रताप के प्रति उनके अटूट राष्ट्रप्रेम और त्याग की भावना को दर्शाता है।

समारोह को विधायक रामस्वरूप लांबा, सीईओ डॉ. नीतीश गुप्ता और शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चन्द पुष्करणा ने भी संबोधित किया। समारोह के संयोजक महावीर प्रसाद वर्मा का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया गया।

admin - awaz rajasthan ki

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