25 वर्ष से अधिक समय से काबिज वन-अधिकार पत्र के लिए पात्र – जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री 24 जनवरी 2024, 05:39 PM

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25 वर्ष से अधिक समय से काबिज वन-अधिकार पत्र के लिए पात्र – जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री
24 जनवरी 2024, 05:39 PM

जयपुर, 24 जनवरी। जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री श्री बाबूलाल खराड़ी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि वन संरक्षण अधिकार अधिनियम के तहत 25 वर्ष से अधिक समय से काबिज व्यक्ति वन-अधिकार पत्र के लिए पात्र होते हैं। निर्धारित समयावधि से काबिज व्यक्ति वन सुरक्षा समिति को दावा प्रस्तुत करते है। इन दावों को पटवारी एवं वनपाल द्वारा मूल्यांकन के बाद इसे ग्राम सभा को जांच के लिए भेजा जाता है। निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद वन अधिकार पत्र जारी किए जाते हैं।

जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि निर्धारित समयावधि से कम समय एवं राजकीय सेवा में होने सहित अन्य कारणों से वन अधिकार पत्र निरस्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि केवाईसी के माध्यम से विभिन्न योजनाओं में दस्तावेज सत्यापन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में भारतीय वन अधिनियम के कारण बिजली कनेक्शन नहीं दिए जा सके। उन्होंने कहा कि वन अधिकार पत्र में भूमि के बेचान का अधिकार नहीं होता है।

इससे पहले विधायक श्री राजकुमार रोत के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री ने अनुसूचित क्षेत्र में वर्ष 2020 से दिसम्बर 2023 तक वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत व्यक्तिगत एवं सामुदायिक प्राप्त दावे स्वीकृत, निरस्त एवं प्रक्रियाधीन दावों का वर्षवार विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने इन क्षेत्रों के जिलों में वर्ष 2020 से दिसम्बर 2023 तक वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत ऑनलाइन व ऑफलाइन व्यक्तिगत व सामुदायिक प्राप्त दावों का वर्षवार सदन के पटल पर रखा।

उन्होंने बताया कि वन विभाग के अन्तर्गत मिले अधिकार पत्रों पर निवासरत आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि वनाधिकार अधिनियमों के तहत अनुमत कार्यों के लिए आवेदन किये जाने पर संबंधित योजना के तहत लाभान्वित किया जाता है एवं अन्य सरकारी योजना मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, पशुपालन विभाग द्वारा बकरी यूनिट वितरण कर लाभान्वित किया गया है। उन्होंने बताया कि वनाधिकार अधिनियम के तहत हक पत्र धारकों का केवाईसी एवं कृषि विद्युत कनेक्शन के लाभान्वितों का पृथक से रिकॉर्ड संधारित नहीं है।


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