गरबा और डांडिया नृत्य से होता है – सकारात्मक ऊर्जा का संचार

गरबा और डांडिया नृत्य से होता है – सकारात्मक ऊर्जा का संचार
Spread the love

अनेकता में एकता का संदेष यदि किसी देष में देखने को मिलता है तो वह है हमारा देष भारत। यहां विविध संस्कृतियों को समाहित करते हुए एक संगम बनता है। विभिन्न धर्मो एवं सम्प्रदाय के लोगों को एक सूत्र में बांधे रखना ही हमारे देष की विषेषता है।

अनेक त्यौहारों के साथ ही शारदीय नवरात्रि का त्योहार भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बड़ी धूमधाम से बनाया जाता है। नवरात्रि का त्योहार भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है. जो मां दुर्गा की आराधना के लिए मनाया जाता है.। इस त्योहार पर देष के विभिन्न शहरों में  नृत्यों और संगीत का आयोजन किया जाता है. जिनमें से गरबा और डांडिया नृत्य प्रमुख माने जाते हैं।

आरंभ में देवी के निकट सछिद्र घट में दीप ले जाकर यह नृत्य होता था। इस प्रकार यह घट दीपगर्भ कहलाता था। वर्णलोप से यही शब्द गरबा बन गया। आजकल गुजरात में नवरात्रों के दिनों में लड़कियाँ कच्चे मिट्टी के सछिद्र घड़े को फूलपत्तियों से सजाकर उसके चारों ओर नृत्य करती हैं।

गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और अश्विन मास की नवरात्रों को गरबा नृत्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रों की पहली रात्रि को गरबा की स्थापना होती है। फिर उसमें चार ज्योतियाँ प्रज्वलित की जाती हें। फिर उसके चारों ओर ताली बजाती फेरे लगाती हैं।

गरबा नृत्य में ताली, चुटकी, खंजरी, डंडा, मंजीरा आदि का ताल देने के लिए प्रयोग होता हैं तथा स्त्रियाँ दो अथवा चार के समूह में मिलकर विभिन्न प्रकार से आवर्तन करती हैं और देवी के गीत अथवा कृष्णलीला संबंधी गीत गाती हैं।

आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शक्ति की आराधना. पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा इस महोत्सव के दौरान की जाती है और दसवें दिन दशहरा के साथ ही पर्व का समापन होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, गुरुवार से हो चुकी है और इसका समापन 12 अक्टूबर, रविवार को होगा।

महाशक्ति के आराधना के पर्व नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों के दर्शन और पूजन के साथ डांडिया और गरबा भी खेला जाता है। गुजरात के इस लोक नृत्य का सीधा कनेक्शन मां दुर्गा से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में इस नृत्य साधना से भक्त देवी को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गरबा या डांडिया नृत्य अलग- अलग तरीके से खेला जाता है. डांडिया नृत्य में जब भक्त डांडिया खेलते है जो इससे देवी की आकृति का ध्यान किया जाता है.जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

प्राचीन काल मे लोग गरबा करते समय सिर्फ दो ताली बजाते थे, लेकिन आज आधुनिक गरबा में नई तरह की शैलियों का उपयोग होता है। जिसमें नृत्यकार दो ताली, छः ताली, आठ ताली, दस ताली, बारह ताली, सोलह तालियाँ बजा कर खेलते हैं। गरबा नृत्य सिर्फ नवरात्री के त्यौहार में ही नहीं किया जाता है बल्कि शादी के महोत्सव और अन्य खुशी के अवसरों पर भी किया जाता है।

गरबा नृत्य एक पारंपरिक गुजराती नृत्य है. जो इस राज्य की शोभा और भी बढ़ाता है.। इसे नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से आयोजन किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं और पुरुष एक सर्कल के हिसाब से खड़े होते हैं और एक-दूसरे के चारों ओर घूमते हुए नृत्य करते हैं। इस नृत्य का मुख्य आकर्षण माहिलाओं और पुरूषों की ऊर्जा होती है। दोनों के हाथ डांडिया नृत्य के दौरान खेली जाने वाली छड़ियां होती है जो मां दुर्गा की तलवार का प्रतीक मानी जाती हैं।

गरबा और डांडिया नृत्य नवरात्रि के लिए अहम

शारदीय नवरात्र में गरबा और डांडिया एक ऐसा नृत्य कला है जो लोगों को एक साथ लाने और उन्हें देवी दुर्गा की आराधना में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं । आज कल नई पीढ़ी के बच्चों में इसका विषेष उत्साह देखने को मिलता है। वे कई दिनों से इस नृत्य के आयोजन इसकी तैयारी करते रहते है। यह नृत्य न केवल नवरात्रि के त्योहार का हिस्सा हैं, बल्कि समाज की संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता हैं।

आकर्षक वस्त्र पहन कर किया जाता है नृत्य-

इस त्योहार में ज्यादातर लोग पारम्परिक वेषभूषा को पसंद करते है। महिलाएं कुर्ती और पायजामे के साथ चुनरी, ओढ़नी या दुपट्टा पहनती हैं।  गरबा और डांडिया नृत्य के लिए महिलाओं के लिए पारंपरिक वस्त्रों में घाघरा, चोली, और दुपट्टा शामिल होता हैं। वही पुरूष भी धोती कुर्ता और पगड़ी आदि पहन कर गरबा खेलते है। इसके अलावा, महिलाएं और पुरुष गरबा और डांडिया नृत्य के समय झुमके, बांगड़ी, और अन्य तरह के आभूषण सजने के लिए पहनते हैं।

अधिकांष राज्यों में होता हैं गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन

वर्तमान में गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन देष के अधिकांष राज्यों में होने लगा हैं। आरंभ में यह गुजरात राज्य में ही धूमधाम से मनाया जाता था लेकिन  अब यह उत्सव महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी मनाया जाता है। लोग गरबा और डांडिया नृत्य करते हुए मां शक्ति देवी दुर्गा की आराधना करते हैं।

सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार

ऐसा कहा जाता है कि डांडिया नृत्य के समय डांडिया लड़ने से जो आवाज उत्पन्न होती है उससे सकारात्मक ऊर्जा आती है. इसके अलावा जीवन की नकारात्मकता भी समाप्त हो जाती है। ठीक ऐसे में गरबा नृत्य के दौरान महिलाएं तीन तालियों का प्रयोग करती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

नृत्य से पहले ऐसे करते हैं देवी का ध्यान

डांडिया या गरबा नृत्य से पहले देवी की पूजा होती है। इसके बाद देवी की तस्वीर या प्रतिमा के सामने मिट्टी के कलश में छेद करके दीप जलाया जाता है। फिर उसके बाद उसमे चांदी का सिक्का भी डालते हैं। इसी दीप की हल्की रोशनी में इस नृत्य को भक्त करते है।  लेकिन आज के आधुनिक समय में  लाईटों को चकाचौंध करने लगे है। नृत्य स्थल को आकर्षक रूप से सजाया जाता है।

    नवरात्रा के आरंभ होने के साथ ही लोग अपने नवीन कार्यो का आरंभ भी कर देते है। वहीं घरों की साफ सफाई भी शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों में पडे टुटे हुए सामान को हटा देते है। ताकि घर में सकारात्मकता बनी रहे। इसके साथ ही नवरात्रा में लोग घर के उत्तर पूर्व दिषा में कलष की स्थापना करते है। इस दिषा को पूजा के लिए शुभ माना जाता है। कलश को भगवान गणेश का प्रतीक माना गया है और यह समृद्धि भी लाता है। इस कारण इसको साफ सुथरी जगह पर रखते है।

नवरात्रा पर लोग अपने घर के प्रवेष द्वार को भी सजाते है। वहां रोषनी करते है। नवरात्रि के दौरान घर के ईशान कोण में घी का दीया जरूर जलाते है। दीया अंधकार को दूर भगाता है और इसलिए इसे प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा यह घर से विभिन्न तरह की बाधाओं को भी दूर करने का काम करता

अधिकांष राज्यों में होता हैं गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन
वर्तमान में गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन देष के अधिकांष राज्यों में होने लगा हैं। आरंभ में यह गुजरात राज्य में ही धूमधाम से मनाया जाता था लेकिन अब यह उत्सव महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी मनाया जाता है। लोग गरबा और डांडिया नृत्य करते हुए मां शक्ति देवी दुर्गा की आराधना करते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार
ऐसा कहा जाता है कि डांडिया नृत्य के समय डांडिया लड़ने से जो आवाज उत्पन्न होती है उससे सकारात्मक ऊर्जा आती है. इसके अलावा जीवन की नकारात्मकता भी समाप्त हो जाती है। ठीक ऐसे में गरबा नृत्य के दौरान महिलाएं तीन तालियों का प्रयोग करती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
नृत्य से पहले ऐसे करते हैं देवी का ध्यान
डांडिया या गरबा नृत्य से पहले देवी की पूजा होती है। इसके बाद देवी की तस्वीर या प्रतिमा के सामने मिट्टी के कलश में छेद करके दीप जलाया जाता है। फिर उसके बाद उसमे चांदी का सिक्का भी डालते हैं। इसी दीप की हल्की रोशनी में इस नृत्य को भक्त करते है। लेकिन आज के आधुनिक समय में लाईटों को चकाचौंध करने लगे है। नृत्य स्थल को आकर्षक रूप से सजाया जाता है।
नवरात्रा के आरंभ होने के साथ ही लोग अपने नवीन कार्यो का आरंभ भी कर देते है। वहीं घरों की साफ सफाई भी शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों में पडे टुटे हुए सामान को हटा देते है। ताकि घर में सकारात्मकता बनी रहे। इसके साथ ही नवरात्रा में लोग घर के उत्तर पूर्व दिषा में कलष की स्थापना करते है। इस दिषा को पूजा के लिए शुभ माना जाता है। कलश को भगवान गणेश का प्रतीक माना गया है और यह समृद्धि भी लाता है। इस कारण इसको साफ सुथरी जगह पर रखते है।
नवरात्रा पर लोग अपने घर के प्रवेष द्वार को भी सजाते है। वहां रोषनी करते है। नवरात्रि के दौरान घर के ईशान कोण में घी का दीया जरूर जलाते है। दीया अंधकार को दूर भगाता है और इसलिए इसे प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा यह घर से विभिन्न तरह की बाधाओं को भी दूर करने का काम करता

admin - awaz rajasthan ki

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *