नए सहकारिता अधिनियम में गृह निर्माण सहकारी समितियों पर अंकुश के लिए किये जाएंगे विशेष प्रावधान

नए सहकारिता अधिनियम में गृह निर्माण सहकारी समितियों पर अंकुश के लिए किये जाएंगे विशेष प्रावधान
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जयपुर । नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नया सहकारिता अधिनियम बनाया जाना प्रक्रियाधीन है। इस अधिनियम में गृह निर्माण सहकारी समितियों पर अंकुश के लिए विशेष प्रावधान किये जाएंगे ताकि निजी कॉलोनाइजरों द्वारा की जाने वाली अनियमितताओं को रोका जा सके। 

खर्रा ने कहा कि निजी क्षेत्र में विकसित की जाने वाली कॉलोनियां स्थानीय निकाय से अनुमोदन के बिना ही विकसित कर दी जाती हैं। इनमें आवश्यक सुविधाएं भी नहीं होती, जिसका नुकसान आमजन को उठाना पड़ता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि नवीन सहकारिता अधिनियम में गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा विकसित की जाने वाली कॉलोनियों में समस्त आवश्यक सुविधाएं विकसित किया जाना अनिवार्य होगा तथा नियमों का उल्लंघन करने पर कठोर कार्यवाही के प्रावधान होंगे। 

नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शुक्रवार को प्रश्नकाल में इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गृह निर्माण सहकारी समितियों का पंजियन सहकारिता अधिनियम के अंतर्गत किया जाता है। वर्तमान में पंजिकृत गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितता पर कार्रवाई करने का विशेष प्रावधान नियमों में नहीं है। 

उन्होंने जानकारी दी कि 1990 से 1998 की अवधि के मध्य विकसित की गई निजी कॉलिनियों की सम्पूर्ण जानकारी जेडीए और समस्त नगर निकायों को उपलब्ध कराई गई थी। साथ ही, इस जानकारी की एक बुकलेट छपवाकर आमजन को भी आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध करवाई जाती थी। उन्होंने कहा कि इसके बाद ऐसी कार्यवाही दुबारा नहीं की गई। 

विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस संबंध में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अवैध कॉलोनियों की समस्या केवल बगरू की नहीं पूरे राज्य की है। इनके लिए नियम और दिशा-निर्देश तय किये जाने चाहिये। साथ ही, आम जन को भी जागरुक किया जाना चाहिये।

इसके बाद खर्रा ने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा विकास प्राधिकरणों, नगरीय निकायों, नगर परिषदों, नगर पालिकाओं आदि के क्षेत्राधिकार में विकसित होने वाली कॉलोनियों में किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो इसके लिए नए दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे, ताकि जिम्मेदारों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, कॉलोनाइजर द्वारा सुविधाएं विकसित करना भी आवश्यक किया जाएगा।  

इससे पहले विधायक कैलाश चन्द वर्मा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि जयपुर विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में बगरू विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान एवं प्राप्त शिकायतों पर नवीन अवैध एवं गैर-अनुमोदित कॉलोनिया संचालित होना पाये जाने पर जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जाती है। उन्होंने गत एक वर्ष में ध्वस्त की गई कॉलोनियों की सूची सदन के पटल पर रखी।

खर्रा ने बताया कि भू-माफियाओं द्वारा अवैध कॉलोनियां विकसित किये जाने पर नियमानुसार ध्वस्तीकरण की कार्यवाही कर राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 177 के तहत कार्यवाही की जाती है। जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा गैर-अनुमोदित कॉलोनियों पर कार्यवाही के उपरान्त पुनः कार्य किया जाना संज्ञान में आने पर पुनः ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जाती है। उन्होंने बताया कि भू-माफियाओं द्वारा अवैध कॉलोनी विकसित होने से रोकने के लिए निरन्तर निगरानी रखी जा रही है।

admin - awaz rajasthan ki

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