भीषण गर्मी में दोपहर 12 से 3 बजे तक भारवाहक पशुओं के उपयोग पर पाबंदी, जिला कलक्टर ने दिए सख्त निर्देश

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भीलवाड़ा। राज्य में लगातार बढ़ते तापमान और ग्रीष्म ऋतु की तीव्रता को देखते हुए पशु कल्याण के मद्देनज़र जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिले में दोपहर 12 बजे से 3 बजे के मध्य भारवाहक पशुओं जैसे घोड़े, गधे, खच्चर, बैल, भैंसे आदि को कार्य में लगाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। यह निर्णय पशुओं को हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण, अत्यधिक थकावट व संभावित मृत्यु जैसी गंभीर स्थितियों से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।

जिला कलक्टर जसमीत सिंह संधु ने संबंधित विभागों, स्थानीय निकायों, पुलिस प्रशासन एवं अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में इस प्रतिबंध की प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करें। इसके साथ ही उन्होंने पशु मालिकों को जागरूक करते हुए कहा कि कृषि एवं यातायात में उपयोग हो रहे पशुओं के लिए उचित छाया, स्वच्छ एवं ठंडे पेयजल तथा पौष्टिक चारे की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

यह निर्णय विभिन्न विधिक प्रावधानों के तहत लिया गया है—

  • भार ढोने वाले पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण नियम, 1965 के अनुसार, जहां तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है, वहां दोपहर 12 से 3 बजे तक पशुओं का उपयोग प्रतिबंधित है।
  • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3 के तहत प्रत्येक पशु पालक का दायित्व है कि वह अपने पशु की भलाई सुनिश्चित करे एवं उसे अनावश्यक पीड़ा से बचाए।
  • पैदल परिवहन नियम, 2001 के अनुसार, 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में पशुओं को पैदल नहीं ले जाया जा सकता।

जिला प्रशासन ने सभी नागरिकों से आग्रह किया है कि वे पशुओं के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएं एवं नियमों की पालना में सहयोग करें। यह कदम पशु कल्याण एवं मानवता की मूल भावना को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास है।

Ashish Parashar

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