शिवप्रकाश को प्रत्याशी बनाने का विरोध, पदाधिकारियों ने दिए इस्तीफे, पूर्व विधायक के फार्म पर लगा जमघट
नसीराबाद (ARK News)। नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र से शिवप्रकाश गुर्जर को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाने व क्षेत्र में लगभग 40 साल से कांग्रेस का झंडा फहराने वाले स्वर्गीय गोविंद सिंह गुर्जर एवं उनके ममेरे भाई पूर्व विधायक महेंद्र सिंह गुर्जर एवं पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर को कांग्रेस पार्टी की तरफ से टिकट नहीं देने से आक्रोशित पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता दोराता गुरुवार को दोराता फार्म हाउस पहुंचे। जहां पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर एवं पूर्व विधायक महेंद्र सिंह गुर्जर से चर्चा कर कांग्रेस पार्टी पर रोष जताया। इस मौके पर पूर्व विधायक वं रामनारायण गुर्जर ने कहा कि नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी से मुलाकात हुई थी। उन्होंने आश्वासन दिया था। इसके बाद में क्यों और किस प्रकार टिकट काटा गया यह नहीं बताया गया है। इसी प्रकार पीपीसी महासचिव पूर्व विधायक महेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि उनके निवास पर नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्रवासियों का सुबह से ही तांता लगा हुआ है। बीते चार दशक से नसीराबाद में स्वर्गीय गोविंद सिंह गुर्जर द्वारा लगातार छह बार कांग्रेस को विजय दिलाने और उसके बाद पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर व पूर्व विधायक महेंद्र सिंह गुर्जर द्वारा विजय दिलाने के बावजूद टिकट काटना आश्चर्य की बात है। नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मोहम्मद हुसैन खान ने कहा इस विधानसभा क्षेत्र से एक 27 साल के युवक को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसे ना तो कांग्रेसी कार्यकर्ता वाकिफ है और ना ही मतदाता। इतना ही नहीं बल्कि स्वयं शिवप्रकाश गुर्जर भी पूरे क्षेत्र और कार्यकर्ताओं से वाकिफ नहीं है। कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ ने दोनों में से एक को निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में उतारने का आग्रह किया। बीते कई दशक से कांग्रेस की सेवा करने वाले पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर एवं पूर्व विधायक महेंद्र सिंह गुर्जर दोनों को ही कांग्रेस पार्टी द्वारा दरकिनार कर देने से रोष व्याप्त है और पूरी विधानसभा क्षेत्र के सभी पदाधिकारी अपने-अपने पद से इस्तीफा लिखकर पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह टोड़ासरा को भिजवा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी स्वर्गीय गोविंद सिंह गुर्जर के परिवार में से टिकट नहीं देती है तो उनमें से निर्दलीय चुनाव लडऩे की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है।