लोकसभा चुनाव 2024:भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 26 अप्रैल को होगा महापर्व: जनसंख्या के साथ बदले चेहरे, नए उम्मीदवारों की होगी प्रतियोगिता
राजस्थान, भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 26 अप्रैल को महत्वपूर्ण मतदान होगा। यहां के 21 लाख 32 हजार 76 मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने के लिए तैयार हैं। इस बार का मतदान उत्सव काफी रोमांचक हो सकता है, क्योंकि वहां सबसे ज्यादा मतदाता आसींद विधानसभा क्षेत्र से हैं।
भाजपा का गढ़ : भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र मेवाड़ के प्रवेश द्वार पर है. यह लोकसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है. प्रदेश में जब गहलोत की सरकार थी, उस समय भी भीलवाड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर भाजपा के विधायक रहे. वहीं, दो सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था. वहीं, वर्तमान में भीलवाड़ा जिले की सात विधानसभा सीटों में से 6 पर भाजपा व एक पर भाजपा के बागी विधायक का कब्जा है. ऐसे में इसको बीजेपी का गढ़ मानते हुए ‘ए’ श्रेणी की सीट मानी जाती है.
2019 के मुकाबले बढ़े 1 लाख 36213 मतदाता : जिला निर्वाचन अधिकारी नमित मेहता ने बताया कि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र में कुल 19 लाख 95 हजार 863 मतदाता थे, जिसकी तुलना में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदाता सूचियों के अंतिम प्रकाशन के बाद करीब 1 लाख 36 हजार 213 मतदाता बढ़े हैं. यह मतदाता 2,212 मतदान केंद्रों पर मतदान कर सकेंगे.
संगठन में है अच्छी पकड़: दामोदर अग्रवाल वर्ष 1971 से ही राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं. इनका जन्म जहाजपुर कस्बे में हुआ था. दामोदर अग्रवाल भाजपा जिला अध्यक्ष, प्रदेश कार्य समिति सदस्य सहित कई संगठन के पद पर रहने के साथ भीलवाड़ा नगर परिषद में वर्ष 2005 से 2010 तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. वहीं दामोदर अग्रवाल वर्तमान में मेवाड़ में लोकसभा चुनाव के प्रभारी के साथ ही प्रदेश भाजपा महामंत्री की पद पर हैं. दामोदर अग्रवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी होने के साथ ही संगठन में अच्छी पकड़ है. वहीं संगठन चलाने का लंबा अनुभव होने के कारण इनको प्रत्याशी बनाया गया है. भाजपा के प्रदेश महामंत्री व भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी दामोदर अग्रवाल टेक्सटाइल व्यवसाय के साथ ही भीलवाड़ा टेक्सटाइल फेडरेशन संगठन के अध्यक्ष भी हैं .
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ऐसे बदले भीलवाड़ा सीट के समीकरण : जयपुर से कांग्रेस ने एकमात्र ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में सुनील शर्मा को टिकट तो दिया, लेकिन एक विवाद के बाद उनकी जगह प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट दिया. इससे ब्राह्मण समाज में नाराजगी दिखाई दी. इस पर डैमेज कंट्रोल के लिए यहां से मजबूत ब्राह्मण प्रत्याशी की तलाश शुरू हुई, जो डॉ. सीपी जोशी पर जाकर खत्म हुई.
इस साल के चुनाव में जनसंख्या, समाजिक-राजनीतिक संरचना, और उम्मीदवारों की रूपरेखा में दर्शायी जा रही बदलावों के कारण, यह चुनाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। नागरिकों की सक्रिय भागीदारी और उनका सहयोग इस महत्वपूर्ण दिन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण होगा।