साल 2025: राजस्थान की राजनीति में बड़े बदलावों का साल

राजस्थान में इस साल राजनीति के नए समीकरण बनने की संभावना है। पंचायत और नगर निकाय चुनावों के चलते पूरे प्रदेश में सियासी गहमागहमी बढ़ने वाली है। वन स्टेट-वन इलेक्शन मॉडल के तहत चुनाव कराए जाने की योजना ने इस साल को और भी खास बना दिया है।
वन स्टेट-वन इलेक्शन: एक नई पहल !
राजस्थान सरकार ने वन स्टेट-वन इलेक्शन (One State-One Election) की योजना के तहत 291 नगर निकाय और 11,000 ग्राम पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी की है। इस मॉडल का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना और चुनावी खर्च में कमी लाना है।
चुनाव के लिए जारी गाइडलाइन्स
भजनलाल सरकार ने पंचायतों का पुनर्गठन करते हुए इन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया है। पुनर्गठन के बाद ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
- पंचायतों के सीमांकन का काम पहले 1 मार्च तक पूरा होना था, लेकिन इसे बढ़ाकर 21 मार्च कर दिया गया है।
- 49 नगर निकायों के निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रशासकों की नियुक्ति की जा चुकी है।
चुनाव क्यों हैं अहम?
इन चुनावों में करीब 1 लाख पंच, 11,000 सरपंच, 7,500 पार्षद, और 1,000 जिला परिषद सदस्य चुने जाएंगे।
इसके अलावा:
- 11 नगर निगमों में मेयर का चुनाव होगा।
- 33 नगर परिषदों और 169 नगर पालिकाओं में सभापति चुने जाएंगे।
ये चुनाव राज्य की सियासी दिशा तय करने के साथ-साथ विकास की योजनाओं पर जनता की राय भी स्पष्ट करेंगे।
राजनीतिक दलों की रणनीति
राजस्थान में इन चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं।
- कांग्रेस और बीजेपी के लिए ये चुनाव सत्ताधारी और विपक्ष के रूप में अपनी ताकत दिखाने का बड़ा मौका हैं।
- राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) जैसे क्षेत्रीय दल भी ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं।
- नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी के लिए यह चुनाव जाटलैंड में अपनी खोई सियासी पकड़ वापस पाने का बड़ा अवसर है।
क्या एक साथ चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण है?
वन स्टेट-वन इलेक्शन मॉडल के तहत इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
- प्रशासनिक तैयारी: चुनाव प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर व्यवस्थाएं करनी होंगी।
- सीमांकन विवाद: नगर निकायों के परिसीमन को लेकर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं।
- राजनीतिक दबाव: क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण प्रशासन पर दबाव रहेगा।
क्षेत्रीय दलों का प्रभाव
इन चुनावों में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ने की उम्मीद है।
- भारत आदिवासी पार्टी (BAP): दक्षिण राजस्थान में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है और पंचायती चुनावों को अपने विस्तार के लिए अहम मान रही है।
- राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP): नागौर और जाटलैंड में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
राजनीति पर इन चुनावों का असर
पंचायत और नगर निकाय चुनाव न केवल स्थानीय प्रशासन को सशक्त करेंगे, बल्कि ये 2028 के विधानसभा चुनावों की नींव भी रखेंगे।
- सरकार की योजनाओं पर जनता का फीडबैक साफ झलकेगा।
- सत्ताधारी दल के कामकाज पर जनता की मुहर लगेगी या विरोध होगा।
- क्षेत्रीय दलों की स्थिति और प्रभाव स्पष्ट होगा।