जयपुर: फर्जी पट्टे जारी करने के आरोप में BJP प्रधान निलंबित, बोलीं- ‘MLA ने फंसाया, मैं निर्दोष’

जयपुर | राजस्थान सरकार ने पंचायत समिति कठूमर की भाजपा प्रधान संगम चौधरी को निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सरपंच रहते हुए पद का दुरुपयोग किया और अवैध रूप से पट्टे जारी किए। संभागीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट में इन आरोपों की पुष्टि होने के बाद यह कार्रवाई की गई।
आरोप और जांच का निष्कर्ष
प्रधान संगम चौधरी पर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने वर्ष 2015 से 2020 तक अरूवा ग्राम पंचायत की सरपंच रहते हुए मनमाने ढंग से पट्टे जारी किए। इस मामले की जांच संभागीय आयुक्त से कराई गई, जिसमें अनियमितताओं की पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट के आधार पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने कार्रवाई की। शासन उप सचिव द्वितीय एवं अतिरिक्त आयुक्त इंद्रजीत सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि संगम चौधरी ने अपने सरपंच कार्यकाल के दौरान पंचायत अधिनियम के नियमों का उल्लंघन किया, जिससे उन्हें निलंबित किया जाता है। यह कार्रवाई राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 38/4 के तहत की गई है। निलंबन अवधि में वे पंचायत समिति के किसी भी कार्य में भाग नहीं लेंगी।
प्रधान संगम चौधरी का पक्ष
निलंबन के बाद प्रधान संगम चौधरी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे राजनीतिक द्वेष के कारण फंसाया गया है। मेरा परिवार शुरू से भाजपा से जुड़ा रहा है। मेरे दादा ससुर 2005 में भाजपा के टिकट से प्रधान बने थे। कांग्रेस सरकार के दौरान भी हमने भाजपा का परचम लहराया। जब मैं सरपंच बनी, तो विकास कार्यों को प्राथमिकता दी। कठूमर के विधायक रमेश खींची कांग्रेस में थे, बाद में भाजपा में आए। हमने पहले चुनाव में उन्हें हराया था, इसलिए उन्होंने बदले की भावना से मुझे निलंबित करवाया। जिला कलेक्टर की जांच में मैं निर्दोष साबित हुई थी, लेकिन राजनीतिक दबाव में यह कार्रवाई की गई है।”
विधायक रमेश खींची का बयान
इस मामले में कठूमर विधायक रमेश खींची ने कहा, “कानून की नजर में सब बराबर हैं। यदि कोई गलत कार्य करता है, तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए। संगम चौधरी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और नियमों के विरुद्ध पट्टे जारी किए। सरकार की जांच में सब स्पष्ट हो चुका है। यह कार्रवाई सरकार के स्तर पर हुई है और इसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है। प्रशासन ने कई स्तरों पर जांच की और सभी में अनियमितताएं पाई गईं। मुझ पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। जनता सच जानती है।”
राजनीतिक विवाद बढ़ने के आसार
इस निलंबन के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बता रहे हैं, जबकि कांग्रेस इसे प्रशासनिक सख्ती का उदाहरण मान रही है। देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या घटनाक्रम सामने आते हैं।