शाहपुरा जिला समाप्ति के 100 दिन पूरेविकास की रफ्तार को लगा ब्रेक।

एडीएम और एसडीएम का पद खाली।
शाहपुरा 8 अप्रैल। शाहपुरा जिला समाप्ति के एक सौ दिन पूरे हो चुके। 100 दिनों की इस अल्प अवधि में जिले के दर्जनों महकमे जैसे राजस्व, उच्च शिक्षा, चिकित्सा, पुलिस, कृषि, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, उद्योग सहित कई जिलास्तरीय
विभागों की स्थापनाएं हुई थीं। जिले समाप्त होते ही कई महकमे भीलवाड़ा जिले में समाहित हो गए। इसी कारण से कई तरह की जनसेवा प्रभावित होने से अब शाहपुरा के विकास की गति को पूर्णतः ब्रेक लग गया।
जानकारी के अनुसार 7 अगस्त 2023 को स्थापित शाहपुरा जिला 17 माह की अल्प अवधि के बाद 28 दिसंबर 2024 को समाप्त कर दिया गया। सरकार के इस निर्णय से प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर आम जनजीवन तक पर व्यापक असर पड़ रहा हैं।प्रशासनिक दृष्टि से देखे तो सरकार ने भले ही अतिरिक्त जिलाधीश का पद सृजित किया। पद रिक्त पड़ा है। एसडीएम का पद भी रिक्त होने से स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक निर्णय लेने की सुविधा खत्म होने से जनता को अब सफर करना पड़ रहा है। मामले लंबित कल रहे है, जन समस्या को सुनने वाला कोई नहीं। जिला होता तो यह नौबत नहीं आती।
उद्योग व रोजगार के क्षेत्र में देखे तो राइजिंग राजस्थान के तहत 75 एमओयू हो चुके जिन पर निवेशक 1435.51 करोड़ रुपए खर्च कर अपने उद्योग स्थापित कर 4465 बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाते। अब सब अनुबंध(एमओयू) खटाई में पड़े हुए है। जिला रहता तो छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलता स्थानीय स्तर पर निवेश बढ़ता बेरोजगारी दूर होती। अब रोजगार के लिए लोग शाहपुरा से पलायन करने लगे है।चिकित्सा सेवाओं में कहने को शाहपुरा में ज़िला अस्पताल है। जिला टूटते ही स्वास्थ्य चिकित्सा क्षेत्र का विस्तार अधर में हो गया। चिकित्सकों के 43 पद में से 33 पद रिक्त है। स्वास्थ्य सेवाएं चर मरा जाने से
क्षेत्रवासियों को उपचार हेतु भीलवाड़ा की ओर दौड़ना पड़ता है।
शहरी निकाय और मुख्यालय सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया के तहत पूर्व कलक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत ने पर्यटन, टाउन हॉल, कम्युनिटी हॉल, स्टेडियम, ऑटोडेरियम, आर्ट गैलरी, मिनी सचिवालय जैसे कई क्षेत्रों में तथा औद्योगिक विकास के लिए लैंड बैंक की स्थापना की, युवा उत्थान संवाद के साथ साईं पेट एप लॉन्च कर युवाओं को कृषि से उद्योग तक रोजगारन दिलाने के लिए नवाचार किया। जिला समाप्त होते ही शाहपुरा की अधोसंरचना विकास अधूरा रह गया।