गर्मी में राहत की नई उम्मीद | 45 डिग्री तापमान में काम करने वाली ढाई लाख महिलाएं पाएंगी बीमा सहायता

गर्मी में राहत की नई उम्मीद | 45 डिग्री तापमान में काम करने वाली ढाई लाख महिलाएं पाएंगी बीमा सहायता
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जयपुर | भीषण गर्मी की मार झेल रहीं गरीब और कामकाजी महिलाओं के लिए अब राहत की किरण दिखाई दे रही है। ‘क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल (CRA)’ और ‘सेल्फ-एम्प्लॉइड विमेन एसोसिएशन (SEWA)’ के संयुक्त प्रयास से हीटवेव इंश्योरेंस (तापमान बीमा) योजना बड़े स्तर पर लागू की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य है—गर्मी में खुले आसमान के नीचे कार्यरत महिलाओं को आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा देना।

■ 2025 तक 7 राज्यों की ढाई लाख महिलाओं को मिलेगा लाभ

राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, असम और जम्मू-कश्मीर की लगभग 2.5 लाख महिलाओं को यह बीमा 2025 तक प्रदान किया जाएगा। बीमा योजना खास तौर पर उन महिलाओं के लिए है जो बेहद गर्म परिस्थितियों में सड़क पर सब्जी-फल बेचने, खेती, निर्माण कार्य या कचरा प्रबंधन जैसे कार्यों में संलग्न हैं।

इस बीमा का प्रीमियम मात्र 6 डॉलर है, जिसमें से एक तिहाई श्रमिक स्वयं देते हैं और शेष राशि सीआरए की ओर से चंदे से दी जाती है।


■ 40 डिग्री के ऊपर तापमान पर तुरंत भुगतान

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना पिछले वर्ष राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की 50,000 महिलाओं के लिए शुरू की गई थी। 18 से 25 मई 2024 के बीच जब तापमान 40 डिग्री से ऊपर गया, तब 92% महिलाओं को 400 से 1600 रुपए तक की बीमा राशि मिली।

भुगतान पैरामीट्रिक इंश्योरेंस प्रणाली पर आधारित है, जिसमें जलवायु परिवर्तन की स्थिति जैसे तापमान वृद्धि पर स्वतः सहायता राशि जारी कर दी जाती है।


■ गर्मी से महिलाओं को झेलनी पड़ती हैं गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं

सर्वे में सामने आया है कि अत्यधिक गर्मी में काम करने वाली महिलाओं को चक्कर, सिरदर्द, चकत्ते, यूटीआई, और कई बार गर्भपात जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, महिलाओं को पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी कामकाज को और कठिन बना देती है।


■ 40-50% तक घट जाती है कमाई

सीआरए की रिपोर्ट बताती है कि गर्मियों के सबसे कठिन दिनों में बिना छाया या पानी के काम करने वाली महिलाओं की आमदनी में 40-50% तक की गिरावट दर्ज होती है।


■ यह केवल बीमा नहीं, बल्कि आजीविका का सुरक्षा कवच

“यह पहली बार है जब बीमा और नकद सहायता को मिलाकर महिलाओं की आय बढ़ाने और उन्हें जलवायु आपदा से बचाने के लिए उपयोग किया जा रहा है।”
कैथी बॉघमैन मैक्लॉड, सीईओ, सीआरए


■ नीतिगत सुझाव

  • सरकार इस योजना को अपने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में शामिल करे।
  • स्थानीय प्रशासन योजना के प्रचार-प्रसार और रजिस्ट्रेशन में सहायता करे।
  • शहरी और ग्रामीण निकायों में कार्यरत महिला श्रमिकों के लिए विशिष्ट बीमा पैकेज तैयार किए जाएं।

admin - awaz rajasthan ki

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