राजस्थान में भी लागू होगा ‘गुजरात मॉडल’! कांग्रेस हाईकमान जुटा संगठन को मजबूत करने में

जयपुर: कांग्रेस संगठन में व्यापक सुधार और पारदर्शिता की दिशा में पार्टी हाईकमान ने एक और ठोस कदम बढ़ाया है। सूत्रों के अनुसार, अब ‘गुजरात मॉडल’ राजस्थान में भी लागू किया जा सकता है। यदि यह मॉडल प्रदेश में लागू होता है, तो जिलेवार कांग्रेस अध्यक्षों का चयन सीधे आलाकमान द्वारा किया जाएगा। इस प्रक्रिया में दूसरे राज्यों के वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा जाएगा, जो जिलों में जाकर योग्य उम्मीदवारों की सूची तैयार करेंगे।
यह मॉडल सबसे पहले गुजरात में लागू हुआ था, जिसे बाद में हरियाणा और मध्यप्रदेश में भी अपनाया गया। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश दौरे के दौरान संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा।
क्या है ‘गुजरात मॉडल’?
‘गुजरात मॉडल’ कांग्रेस हाईकमान की ओर से संगठनात्मक मजबूती के लिए शुरू की गई एक नई प्रणाली है। इसके तहत—
- दूसरे राज्यों के अनुभवी नेताओं को एआईसीसी पर्यवेक्षक बनाकर भेजा जाता है।
- प्रत्येक जिले में वे सभी सामाजिक वर्गों से संवाद कर 3 से 5 संभावित उम्मीदवारों का पैनल तैयार करते हैं।
- चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता, पारदर्शिता और क्षेत्रीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाता है।
क्यों अहम है यह मॉडल?
2025 को कांग्रेस ‘संगठन सृजन वर्ष’ के रूप में मना रही है। पार्टी नेतृत्व का लक्ष्य है—
✅ ज़मीनी स्तर पर मजबूत और मेहनती जिला अध्यक्षों की फौज खड़ी करना।
✅ सिफारिश संस्कृति को खत्म कर टैलेंट आधारित नेतृत्व को बढ़ावा देना।
✅ आने वाले निकाय, पंचायत, विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मजबूत आधार तैयार करना।
राजस्थान में क्या हैं संकेत?
राहुल गांधी के मध्यप्रदेश में दिए गए बयान के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि अब राजस्थान में भी यह मॉडल लागू होगा।
- हाईकमान की ओर से जल्द ही दूसरे राज्यों के नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर राजस्थान भेजा जाएगा।
- पर्यवेक्षक जिला स्तर पर दौरा कर स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों से राय लेकर नामों का पैनल बनाएंगे।
- इसके बाद हाईकमान खुद ही अंतिम निर्णय लेकर जिला अध्यक्षों की घोषणा करेगा।
प्रदेश नेतृत्व की प्रतिक्रिया क्या है?
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की ओर से फिलहाल इस विषय में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
- प्रदेश नेतृत्व का कहना है कि हमें अब तक ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है।
- साथ ही कुछ नेताओं का तर्क है कि यह मॉडल केवल उन्हीं राज्यों में लागू हो जहां संगठन बेहद कमजोर हो।
- लेकिन राहुल गांधी द्वारा दिए गए स्पष्ट संकेतों के बाद अब इस मुद्दे पर प्रदेश नेतृत्व भी सावधानी बरतते हुए कोई बयान देने से बच रहा है।
भविष्य की तैयारी और अपेक्षाएं
यदि राजस्थान में यह मॉडल लागू होता है तो—
- जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में निष्पक्षता और गुणवत्ता की प्राथमिकता दी जाएगी।
- पार्टी उन्हें वित्तीय सहायता देने के साथ-साथ स्थानीय चुनावों में प्राथमिकता भी देगी।
- यह मॉडल जमीनी कार्यकर्ताओं को नेतृत्व में लाने का अवसर देगा, जिससे संगठन और मजबूत होगा।