रिमझिम बारिश ने घटिया निर्माण कार्य की खोली पोल, सड़क बनी कीचड़ का मैदान।


48 घंटे की रिमझिम बारिश ने दुबारा उखाड़ दिया 50 करोड़ का बाईपास को।
बूंदाबांदी(हल्की बारिश) खोली सच्चाई, सड़क बनी कीचड़ का मैदान।
घटिया टेंडर प्रक्रिया और मानकों की अनदेखी का आरोप।
प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का आरोप।
शाहपुरा, 28 अक्टूबर। शाहपुरा-भीलवाड़ा मेघा हाइवे तथा भीम उनियारा 148डी हाइवे को जोड़ने के लिए 50 करोड़ 35 लाख की लागत से बना 10 किलोमीटर लंबा बाईपास दूसरी बार की हल्की रिमझिम बारिश में बह गया।
राजस्थान सरकार की 2023-24 बजट घोषणा के तहत राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम द्वारा स्वीकृत इस परियोजना का कार्य 12 अक्टूबर 2023 से शुरू हुआ था। इसे 11 अक्टूबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन ठेकेदार ने जल्दबाजी में निर्माण समाप्त कर दिया, जिससे गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लग गए। हल्की बारिश ने ही इसकी सच्चाई उजागर कर दी।
बूंदाबांदी(हल्की बारिश) खोली सच्चाई, सड़क बनी कीचड़ का मैदान: मानसून की बारिश ने पहले ही डामर की ऊपरी परत उखाड़ दी थी, नीचे की चिकनी मिट्टी उभर आने से बाईपास कच्ची सड़क जैसा हो गया। एजेंसी ने मरम्मत के नाम पर दो माह तक काम रोक रखा। दीपावली से दो दिन पूर्व दुबारा शुरू हुए 10 किलोमीटर बाईपास पर 26 अक्टूबर से शुरू हुई 48 घंटे की लगातार बारिश ने फिर से सड़क को तबाह कर दिया। आवागमन के बीच जगह-जगह गड्ढे और फिसलन से वाहन चालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
घटिया टेंडर प्रक्रिया और मानकों की अनदेखी का आरोप: कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है कि 50 करोड़ के अनुमानित प्रोजेक्ट को घटिया टेंडर प्रक्रिया के जरिए मात्र 30.81 करोड़ में दे दिया गया। इससे बिलो रेट निर्माण हुआ और गुणवत्ताहीन सामग्री इस्तेमाल की गई। जल निकासी की नालियां और ढलान न बनने से आसपास खेतों में पानी भर गया, जिससे किसानों की फसलें भी खराब हो गईं।
गड्ढों में खड़े किए खाली ड्रम: ठेकेदार ने दूसरी बार अपनी नाकामी छुपाने के लिए बाईपास पर पड़े बड़े गड्ढों में वाहनों को धंसने से रोकने के लिए जगह जगह डामर के खाली ढोल खड़े कर दिए।
प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का आरोप: नगर सेवानिवृत्त इंजीनियरों ने भी निर्माण में तकनीकी खामियां बताईं। स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश सेन का आरोप था कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण जनता को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। राज्य सरकार को उच्चस्तरीय जांच कर ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए।