एमपी, यूपी और हरियाणा से आने चारे व खाखले(भूसे) पर लगाया प्रतिबंध, प्रदेश के पशुपालक आहत- चौधरी * केंद्र की भाजपानीत सरकार से नहीं मिल रहा है अनुदान ** जिले में सक्रिय हैं चारा माफिया, सरकार लगाए अंकुश **किसान उगाए नेपियर घास, संकट काल का करें मुकाबला

एमपी, यूपी और हरियाणा से आने चारे व खाखले(भूसे) पर लगाया प्रतिबंध, प्रदेश के पशुपालक आहत- चौधरी  * केंद्र की भाजपानीत सरकार से नहीं मिल रहा है अनुदान ** जिले में सक्रिय हैं चारा माफिया, सरकार लगाए अंकुश **किसान उगाए नेपियर घास, संकट काल का करें मुकाबला
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एमपी, यूपी और हरियाणा से आने चारे व खाखले(भूसे) पर लगाया प्रतिबंध, प्रदेश के पशुपालक आहत- चौधरी

* केंद्र की भाजपानीत सरकार से नहीं मिल रहा है अनुदान
** जिले में सक्रिय हैं चारा माफिया, सरकार लगाए अंकुश
**किसान उगाए नेपियर घास, संकट काल का करें मुकाबला

आवाज़ राजस्थान की
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अजमेर। राजस्थान में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व हरियाणा से आने वाले पशुआहार (भूसे)पर वहां की भाजपानीत सरकारों ने प्रतिबंध लगाकर प्रदेश के पशुपालकों को आहत किया है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने आप को गौ-भक्त
बताकर आमजन से सहानुभूति बटोर रही हैं वहीं इन राज्यों से आने वाले खाखला व भूसे पर प्रतिबंध लगाकर राज्य के पशुपालकों के सामने संकट खड़ा कर दिया है। अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (अजमेर सरस डेयरी) के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश पशुपालक अपने पशुओं के आहार के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व हरियाणा से आने वाले भूसे (पशु आहार) पर निर्भर है, लेकिन गत एक माह पूर्व भाजपा शासित इन राज्यों ने राजस्थान में भूसा भेजने पर रोक की अप्रत्याशित घोषणा करके प्रदेश के पशुपालकों व पशुओं के साथ कुठाराघात किया है। पूर्व में जो भूसा 800 से 900 रुपए क्विंटल तक मिल जाता था, इस रोक के बाद अब 1200 से 1300 रुपए क्विंटल के भाव देने के बाद भी किसानों को निराश होना पड़ रहा है। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि इन तीन राज्यों की तर्ज पर पंजाब भी प्रदेश में भेजे जाने वाले भूसे पर रोक लगाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में पशुपालकों व किसानों के सामने संकट और भी बढ़ेगा । उन्होंने बताया कि इन राज्यों से प्रतिमाह 200 से 300 ट्रक भूसे के राजस्थान में आते थे, इस रोक के बाद प्रदेश में भूसे का संकट बढ़ गया है। प्रतिपशु को प्रतिदिन लगभग 10 किलो भूसे की आवश्यकता होती हैं। जिले में वर्तमान में चार से पाँच लाख पशुधन है और लगभग दो लाख परिवार इस पशुधन के सहारे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की संवेदनशील कांग्रेसनीत अशोक गहलोत सरकार ने मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना में पशुपालकों के द्वारा सहकारी डेयरी में दिए जा रहे दूध पर प्रति लीटर अनुदान के रूप में 2 रुपए से बढ़ाकर 5 रुपए किए, जिससे किसानों को आर्थिक संबल मिला था, उन्होंने आरोप करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन पर भाजपानीत राज्यों द्वारा भूसे पर प्रतिबंध लगाकर पशुपालकों व किसानों का मनोबल तोड़ा है। चौधरी ने केंद्र से मांग की है कि वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर प्रतिबंध लगाए व न की मूक पशुओं के निवाले पर । उन्होंने जल्द ही इस प्रतिबंध को हटा कर राज्य के पशुपालकों को राहत देने की मांग की है।

*चारे व भूसे पर केंद्र का अनुदान हुआ बंद-*
डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि केंद्र में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार थी, तब अकाल एवं संकट के समय पशुपालकों को भूसे,चारे व कुट्टी पर अनुदान मिलता था। यह अनुदान अप्रैल-मई में दिया जाना शुरू हो जाता था । वर्ष1988 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने मसूदा क्षेत्र में एक सभा के दौरान तत्काल ही इस प्रकार के अनुदान की घोषणा की थी ,जो वर्षों तक जारी रही। समय-समय पर संप्रग सरकार ने पशुपालकों के दर्द को समझते हुए अनुदान जारी किया है, लेकिन वर्तमान केंद्र की राजग सरकार आहत पशुओं व पशुपालकों पर ध्यान नहीं देकर मूक बनी हुई है।

*जिले में सक्रिय चारा माफिया सरकार लगाए अंकुश* –

चौधरी के बताया कि प्रदेश सहित जिले में वर्तमान में चारे व भूसे की किल्लत के इस दौर में चारा माफिया सक्रिय हो रहे हैं । भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, कोटा की तरफ से आने वाले भूसे पर चारा माफिया भूसे मालिक व वाहन मालिक को डरा धमकाकर बहुत कम भाव में ट्रक खाली करवा लेते हैं तथा बाद में इसको ऊंचे दामों पर बेचते हैं । चौधरी ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रशासन, पशुपालकों को राहत देने के लिए पटवारी, गिरदावर ,तहसीलदार व उपखंड अधिकारी की निगरानी में बिजयनगर, केकड़ी व भीलवाड़ा में चारा डिपो बनाए ताकि इस मुनाफा खोरी पर अंकुश लगाया जा सके।उन्होंने कहा कि पूर्व में काफी वर्षो पहले ऐसी व्यवस्था होने से पशुपालकों को राहत मिलती थी।

*नेपियर घास उगाए, संकट काल में पाएं राहत* –
चौधरी ने जिले सहित प्रदेश के पशुपालकों से आह्वान किया है कि चहुँओर से बढाए जा रहे इस पशुआहार(भूसे) के संकट से निपटने के लिए पशुपालक नेपियर घास का विकल्प अपनाएं । यह घास कम पानी में उत्पन्न होती हैं तथा पशुओं के लिए पौष्टिक भी होती हैं ,जिससे पशुओं में दूध की मात्रा भी बढ़ती हैं।यह घास अन्य चारे जैसे -रजका,कुरा आदि के मुकाबले वर्षों तक 12 महीने उत्पादित होने वाली है।

*केंद्र से की है मांग, नहीं तो देंगे धरना* –

चौधरी ने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार को अकाल के समय में पशुपालकों को चारा ,कुट्टी व अन्य पशु आहार पर अनुदान जारी करना चाहिए व तीनों राज्यों द्वारा भूसे पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाना चाहिए । इस संदर्भ में केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया हैं , परंतु अभी तक इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि जल्दी इन मांगों पर केंद्र सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की तो प्रदेश के किसान एवं पशुपालकों के साथ डेयरी संघ अध्यक्षों की अगुवाई में 15 मई के बाद दिल्ली में जंतर मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

*उपभोक्ता व पशुपालकों को राहत दी गहलोत सरकार ने* –

चौधरी ने कहा कि चारे व कुट्टी के बढ़ते भाव के बावजूद उपभोक्ताओं व पशुपालकों को राहत देने में प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। गहलोत सरकार ने मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना में प्रति लीटर 5 रुपए का अनुदान पशुपालकों को देने से पशुपालकों का आर्थिक संकट टला वहीं इसकी बदौलत ही उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले मूल्य भार को भी डेयरी प्रशासन द्वारा मैनेज किया गया है, इसी का परिणाम हैं कि विगत एक वर्ष से उपभोक्ताओं के लिए दूध के भाव नहीं बढ़ाए गए हैं।
विजय कुमार पाराशर
आवाज़ राजस्थान की
9414302519


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