प्रशासनिक सह-सीमान्तता के कार्य को बढ़ावा देने की योजना में कांग्रेस सरकार की कवायद
आवाज़ राजस्थान की(अजमेर)। राज्य सरकार की प्रशासनिक सह-सीमान्तता के कार्य को गति देने के लिए बनी करीब पांच साल पुरानी सरकारी योजना जो कांग्रेस राज में ठण्डे बस्ते के हवाले हुई, उसे गति देने की कवायद शुरू हो गई है। जानकारी के मुताबिक उच्च स्तर पर इसकी पुनः समीक्षा की योजना बन रही है। यह योजना पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय ही बनी थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया था। इसमें जयपुर व जोधपुर के साथ अजमेर को शामिल किया गया था। इसके लिए सरकार ने राज्य स्तर पर राजस्व सचिव की सदारत में एक का गठन का किया था। सरकार की मंशा नगरीय निकायों, जोनल इकाइयों के साथ-साथ जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी की एक यूनिट बनाने की थी ताकि उन तक शहरी सीमा के नागरिकों तक पहुंच को सुगम बनाया जा सके।
वहीं सरकारी योजनाओं को सामूहिक प्रयास के साथ क्रियान्वित किया जा सके।एडीए ने दो दर्जन से अधिक गांव शामिल करने का बनाया प्रस्ताव प्रसंगवश सरकार की समिति ने यह तय किया था कि अजमेर विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में आने वाली ग्राम पंचायतों को आंशिक रूप में शामिल नहीं किया जाएगा। तर्क दिया था कि ऐसी ग्राम पंचायत नगरीय निकाय में शामिल होनी चाहिए जिसका एक भी गांव नगरीय क्षेत्र में आने से अछूता नहीं रहे। लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण की नगरीय सीमा में शामिल कुल 52 ग्राम पंचायतों में से 14 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जिनके पूरे गांव एडीए की सीमा में शामिल नहीं है। इसीलिए एडीए प्रशासन दो दर्जन से अधिक उन गांवो को भी एडीए की नगरीय सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जो अभी उसकी सीमा से बाहर हैं। पर इस प्रस्ताव पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।