पंचायत स्तर पर विकसित होगी हाइटेक नर्सरी, 200 वर्ग मीटर क्षेत्र में तैयार होगी प्रत्येक नर्सरी, लागत 3.76 लाख रुपए

अब ग्राम पंचायतों को पौधारोपण के लिए वन विभाग पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत पौधशालाएं स्थापित की जा रही हैं, जिससे पंचायतें स्वयं पौधों का उत्पादन कर सकेंगी। इस पहल से हरियाली बढ़ाने की प्रक्रिया और अधिक सुगम होगी।
अब तक पौधों की उपलब्धता का दायित्व वन विभाग के पास था, लेकिन भविष्य में मनरेगा योजना के तहत मजदूर बीजारोपण कर पौधे तैयार करेंगे। प्रत्येक पंचायत में कम से कम 2,100 पौधे विकसित किए जाएंगे, जिनमें चार से पांच प्रकार के पौधों को शामिल किया जाएगा।
पंचायत पौधशालाओं पर 3.76 लाख रुपये का खर्च
ग्राम पंचायत व मनरेगा योजना के संयुक्त तत्वावधान में पंचायत पौधशालाएं विकसित की जा रही हैं। इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है, जिसके तहत प्रत्येक पंचायत में करीब 3.76 लाख रुपये की लागत से पौधशाला स्थापित होगी।
मुख्यमंत्री वृक्षारोपण महाअभियान के अंतर्गत महात्मा गांधी नरेगा योजना में पौधरोपण को प्राथमिकता दी गई है। इस योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में भूमि उपलब्धता और आवश्यकतानुसार मानसून में पौधारोपण हेतु पौधशालाएं तैयार की जाएंगी। पंचायत समितियों को 31 मार्च तक पौधशालाओं का निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया गया है, वहीं जुलाई-अगस्त तक पौधे तैयार कर उनका वितरण किया जाएगा।
सुरक्षा के विशेष इंतजाम
पंचायत पौधशालाएं न्यूनतम 200 वर्गमीटर क्षेत्रफल में विकसित की जाएंगी और इन्हें ग्राम पंचायत के समीप ही स्थापित किया जाएगा, ताकि उचित देखभाल संभव हो। पानी की पर्याप्त व्यवस्था और परिवहन की सुगमता का भी ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा, पौधशालाओं की सुरक्षा के लिए वायर फेंसिंग और सुरक्षा दीवार बनाए जाने का प्रावधान भी रखा गया है।
नरेगा मजदूरों की भूमिका महत्वपूर्ण
पौधशाला में पौधों की न्यूनतम 3 वर्षों तक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए नरेगा योजना के तहत नियमित मजदूरों की नियुक्ति की जाएगी। ये मजदूर पौधों की निगरानी और उनकी देखरेख करेंगे। साथ ही, एक चौकीदार की भी व्यवस्था की जाएगी, जिससे नर्सरी की सुरक्षा बनी रहे।
इस पहल से ग्राम पंचायतें हरियाली बढ़ाने में आत्मनिर्भर बनेंगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।