2 सप्ताह से न्यायिक कार्यों का बहिष्कार, अटके लोगों के काम।


शाहपुरा में 2 सप्ताह से न्यायिक कार्यों का बहिष्कार।
तीन अदालतों में लोगों के अटके काम, हो रहे परेशान।
कई कानूनी काम काजों पर भी पड़ा प्रभाव।
आंदोलन लंबा चला तो न्यायिक प्रक्रिया में पूरी तरह होगा ठहराव।
शाहपुरा, 17 दिसंबर। राजस्थान में भाजपा की सरकार ने 28 दिसंबर 2024 को पूर्ववती कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए शाहपुरा के जिले के दर्जे को समाप्त कर दिया।
जिले के दर्जे को समाप्त होने पर शाहपुरा के अभिभाषक संस्थान ने टूटे जिले को पुनः दर्जा दिलाने की मांग को लेकर 2जनवरी को कमर कसी। अभिभाषक संस्थान के तत्वाधान में न्यायालय परिसर में सर्व दलीय, कई संगठनों की अहम बैठक हुई और शाहपुरा जिला बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया।
अधिवक्ताओं ने शाहपुरा की अपर जिला एवं सेशन न्यायालय, सिविल न्यायालय तथा जिला कोर्ट तीनों अदालतों में 3 व 4 जनवरी को न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करने की घोषणा की और लगातार न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करने की तिथि बढ़ाते जाने से से आज 2 सप्ताह बीत गए। गुरुवार को वकीलों की हुई अहम बैठक में न्यायिक कार्यों का बहिष्कार 28 जनवरी तक किए जाने के बाद अधिवक्ताओं की ओर से सभी न्यायिक काम काज बंद कर दिए और अधिवक्ता शाहपुरा जिले को बचाने में प्रयासरत होते हुए आंदोलन का एक प्रमुख हिस्सा बन बैठे।
न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का प्रभाव:
लंबित मामलों में वृद्धि:- शाहपुरा के अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में चल रहे न्यायिक कार्य वकीलों की ओर से पूरी तरह ठप हो गए हैं। वैसे तीनों न्यायालय कार्यालयों की ओर से रोजमर्रा के कार्य संचालित है।
नए मामलों की सुनवाई शुरू नहीं हो पा रही है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाएं बाधित हो रही हैं।
पहले से लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
आम जन पर प्रभाव:- बहिष्कार से आम नागरिकों के कानूनी कार्य जैसे जमानत याचिका, विवाद निपटारा, स्टे ऑर्डर और अन्य कानूनी दस्तावेजों से संबंधित कार्य अटक गए हैं। विशेष रूप से गरीब और ग्रामीण जनता, जो अपनी शिकायतों के समाधान के लिए न्यायालय पर निर्भर हैं, सबसे अधिक आमजन के कार्य प्रभावित हो रहे है।
आर्थिक प्रभाव:- वकीलों और अन्य कानूनी पेशेवरों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कोर्ट से जुड़े अन्य व्यवसाय जैसे नोटरी, दस्तावेज लेखन के कार्य भी प्रभावित हो रहे है।
आंदोलन लंबा चला तो…? :- शाहपुरा क्षेत्रवासियों के मन में सवाल उठ रहे है कि अगर आंदोलन लंबा खिंचता है, तो न्यायिक प्रक्रिया में पूरी तरह ठहराव आ सकता है। संभावित दीर्घकालिक परिणाम जनता को भुगतने पड़ेंगे।
इस आंदोलन को लेकर शाहपुरा के कई प्रभुत्व नागरिकों ने आवाज राजस्थान को बताया कि शाहपुरा जिला बचाओ आंदोलन क्षेत्र के लोगों की भलाई के लिए ही किया जा रहा है, मांग भी जायज है। हालांकि, न्यायिक कार्यों के बहिष्कार से सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना है। आम नागरिकों और पीड़ितों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति को सुलझाने के लिए आंदोलन समिति व राज्य सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए। साथ ही, आंदोलनकारी पक्ष को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का किसी भी प्रकार से जनता को लंबे समय तक नुकसान न पहुंचे।