50 प्रतिशत टिकट 50 से कम उम्र वालों को, क्षेत्र में नाराजगी पर 30 बाहर दो बार जीत चुके विधायकों में भी कई के टिकट कटेंगे
अजमेर (ARK News)। राजस्थान का ‘रिवाज’ बदलने के लिए कांग्रेस 50 फीसदी टिकट 50 के नीचे वालों को देने के उदयपुर डिक्लेरेशन को 2024 से नहीं इसी चुनाव से लागू करने जा रही है। 30 विधायकों को उनके क्षेत्र में नाराजगी होने की जानकारी सालासर वर्कशॉप में दे दी जाएगी। कुल 30 फीसदी विधायक ही अपनी जीत दोहरा पाते हैं, यह भी मान लिया गया है और दो बार से ज्यादा जीत दर्ज करना मुश्किल काम है। यह सारा जोड़-भाग करके आधे टिकट काट कर पार्टी नया चेहरा राजस्थान को देने जा रही है, यह सिद्धांतत: तय हो गया है।
एआईसीसी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के स्तर पर कई सर्वे पार्टी ने करवाए हैं। इसके बाद यह बात और स्पष्ट हो गई जो प्रदेश में हर कोई यूं भी कह रहा है कि कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ जनता खासी नाराज है। पार्टी इसे इस तरह कहती है-सरकार के कामकाज से लोग खुश हैं, कुछ विधायकों से जरूर नाराजगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले 20 महीनों में करीब 10 हजार किलोमीटर का सफर करते हुए कुल 57 दौरे किए हैं और राहत शिविर में जनता को जोडऩे की कोशिश की है। अब पार्टी टिकट वितरण में कुछ ऐसा करना चाहती है कि मिशन रिपीट सिर्फ नारा न रह कर साकार हो जाए। कर्नाटक की तर्ज पर दो महीने पहले टिकटों की घोषणा करना भी इसी सोच का हिस्सा है। समय रहते जनता को नए चेहरे का पता चल जाए ताकि निगेटिविटी खत्म की जा सके। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है-जीत की संभावना वाले लोगों को ही टिकट दिया जाए तो सार्थक रहेगा।
जिनका टिकट कटा, उन्हें सरकार रिपीट होने पर बोर्ड आयोग में जगह का भरोसा कर्नाटक में कुछ सीनियर लेकिन चुनाव लडऩे के लिहाज से कमजोर दिख रहें चेहरों को सीधे विधानपरिषद में लाकर मंत्री बनाया गया है। इसी तर्ज पर जिन प्रमुख लोगों की क्षेत्र में स्थिति कमजोर है, उन्हें सरकार बनने की स्थिति में बोर्ड अध्यक्ष सहित अन्य पदों पर लाकर संतुष्ट किया जाएगा। आज की तारीख में गहलोत सरकार में 29 मंत्री हैं जबकि बोर्ड, आयोग, निगम में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे 69 पद भी हैं। इनमें भी 30 राज्यमंत्री और 4 कैबिनेट मंत्री के समानांतर पद हैं। सीएम के छह सलाहकार भी इस सरकार ने बनाए हैं।
टिकट तो दिल्ली से ही तय होंगे, लेकिन रिपोर्ट राजस्थान से जाएगी पार्टी यह भी कह रही है कि टिकट किसे मिले, किसे नहीं यह दिल्ली से ही तय होगा। राजस्थान से सिर्फ चेहरों की स्वॉट रिपोर्ट यानी मजबूत कमजोर पक्ष की जानकारी दी जाएगी। जिन वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव से इनकार किया, टिकट बच्चों के लिए मांग रहे कुछ विधायक, मंत्री उम्र का हवाला देकर खुद चुनाव न लडऩे की बात कह चुके हैं। दीपेन्द्र सिंह शेखावत, गुरमीत कुण्डल ने हाल ही में अपने-अपने कारण गिनाए हैं। हालांकि ये पुराने नेता अपने बच्चों के लिए टिकट मांग कर पार्टी को परेशानी में जरूर डालेंगे। पार्टी भी चाहती है कि धीरे-धीरे वरिष्ठजन खुद ही आगे आ जाएं। रंधावा बोले-बड़े उम्र के लोगों को घर से निकाला थोड़ी जाता है प्रदेश प्रभारी रंधावा कहते हैं-‘मैं प्रभारी हूं, 62 वर्ष का हो गया तो मेरे साथ पार्टी को क्या करना चाहिए। क्या उम्र के बड़े लोगों को घर से निकाला जा सकता है क्या? जो खुद चुनाव नहीं लडऩा चाहते, वे न लड़ें, लेकिन बड़ी उम्र के अनुभवियों को निकाला थोड़ी जाता है। राजनीति में उम्र की कोई कट-ऑफ तो होती नहीं है।’ साथ ही रंधावा ने कहा-आनुपातिक रूप से युवाओं को आगे रखा जाएगा।