वन स्टेट-वन इलेक्शन से पहले जिलों का पुनर्गठन, पंचायत चुनाव टलने की संभावना

7 हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव टलने की संभावना, प्रशासक लगेंगे !
जयपुर: गहलोत सरकार के कार्यकाल में बने नए जिलों को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। रिव्यू कमेटी ने छोटे जिलों को मर्ज या खत्म करने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही वन स्टेट-वन इलेक्शन योजना से पहले जिलों का पुनर्गठन होगा, जिससे जिलों की नई सीमाओं का निर्धारण किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, अगर यह पुनर्गठन पूरा हो जाता है, तो जनवरी 2025 में प्रस्तावित 7 हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव टाले जा सकते हैं और उनके स्थान पर प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं। गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए छोटे जिलों को खत्म कर पुनर्गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, और इस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट द्वारा लिया जाएगा।

मंत्रियों की कमेटी ने जिलों को मर्ज करने पर सहमति दी
नए जिलों के पुनर्गठन को लेकर बनी मंत्रियों की कमेटी का काम भी लगभग पूरा हो गया है। कमेटी ने माना कि कई छोटे जिले पैरामीटर पर खरे नहीं उतरते, इसलिए उन्हें मर्ज करना ही सही रहेगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
उपचुनाव से पहले या बाद में फैसला
जिलों को खत्म करने पर उपचुनाव से पहले या बाद में निर्णय लेने पर भी विचार हो रहा है। कुछ नेताओं का मानना है कि उपचुनाव से पहले जिले खत्म करने का फैसला राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है। वहीं, अन्य का तर्क है कि यह फैसला जल्द होना चाहिए ताकि विधानसभा चुनाव से पहले किया गया वादा पूरा हो सके।
जनगणना की छूट से सरकार को मिली राहत
जनगणना रजिस्ट्रार जनरल द्वारा नई प्रशासनिक इकाइयों के निर्माण पर लगी रोक को 31 दिसंबर तक हटाने के बाद, सरकार को पुनर्गठन का फैसला करने के लिए पर्याप्त समय मिल गया है। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि जिलों की नई सीमाएं तय होने के बाद ही चुनाव होंगे।
एक साथ चुनाव कराने की कानूनी पेचीदगियों का हल
राज्य सरकार पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी कानूनी जटिलताओं को हल करने के लिए विधि विभाग के स्तर पर मंथन कर रही है। यह संभावना जताई जा रही है कि अगले साल 2025 में जनवरी में होने वाले पंचायत चुनाव टाले जाएंगे और प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।